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गुजरात के इस मंत्री ने अरूण जेटली के जीवित रहते दे डाली श्रद्धांजलि... सभा में लोगों को दो मिनट मौन भी रखवाया !

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15 August 2019


नई दिल्ली। देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की तबीयत इन दिनों अच्छी नहीं है। उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत नाजुक लेकिन स्थिर बनी है। पीएम मोदी समेत भाजपा के कई दिग्गज नेता जेटली का स्वास्थ्य जानने के लिए एम्स पहुंच रहे हैं। 



इसी बीच गुजरात के पर्यटन राज्य मंत्री वासन अहीर ने ऐसा कुछ कर दिया जिससे पूरी पार्टी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। दरअसल, वासन अहीर ने 10 अगस्त को कच्छ में आयोजित एक सार्वजनिक समारोह में अरुण जेटली को श्रद्धांजलि दे डाली। 




'टाइम्स आफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के पर्यटन राज्य मंत्री ने ना केवल जेटली के निधन पर दुख व्यक्त किया, बल्कि वहां मौजूद किसानों और गणमान्य लोगों से भी 2 मिनट का मौन भी रखवाया। 



बताया जा रहा है कि इस समारोह का आयोजन कच्छ के मांडवी तालुका के बिदाद गांव में किया गया था। मंत्रीजी की इस गलती को आगे बढ़ाते हुए कच्छ सूचना विभाग ने इस समारोह को लेकर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें यह दावा किया गया की जेटली को गणमान्य लोगों और किसानों द्वारा श्रद्धांजलि दी गई थी। 








ऐसा ही एक वाक्या इंदौर में भी सामने आया, जहां अतिउत्साह में वार्ड 29 की भाजपा पार्षद पूजा पाटीदार ने जेटली की मौत के अफवाह को सुन तुरंत फेसबूक पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दे डाली। पाटीदार ने जेटली के पोस्टर पर अपना फोटो चस्पा करते हुए लिखा कि, पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटलीजी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।





बता दें की अरुण जेटली को एम्स की आईसीयू में रखा गया है। डॉक्टर उनके स्वास्थ्य पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। 

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स्वतंत्रता दिवस पर CM भूपेश बघेल ने अनुसूचित जाति और OBC का बढ़ाया आरक्षण...पढ़िए, सीएम की 10 बड़ी घोषणाएं

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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त के मौके पर प्रदेशवासियों को कई महत्वपूर्ण सौगात दी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में एक नया जिला 'गौरेला- पेण्ड्रा-मरवाही' बनाने का ऐलान किया। इस तरह अब छत्तीसगढ़ 28 जिलों का राज्य बन जाएगा। इसके साथ ही सीएम ने 25 नई तहसीलें बनाने की भी घोषणा की। 



मुख्यमंत्री ने प्रदेश में निवासरत अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की। सीएम की घोषणा के साथ प्रदेश में अब 72 प्रतिशत आरक्षण हो गया है। बता दें कि प्रदेश में अनुसूचित जनजाति को पहले ही तरह 32 प्रतिशत आरक्षण दिया जायेगा।

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मुख्यमंत्री ने राजधानी में 15 अगस्त के मुख्य समारोह को संबोधित करते हुए इस बात का ऐलान किया। प्रदेश में अनुसूचित जाति के लोगों को अब 12 फीसदी से बढ़ाकर 13 फीसदी आरक्षण कर दिया गया है। वहीं ओबीसी वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का ऐलान किया है।



इस अवसर पर सीएम बघेल ने प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त कराने गांधी जयंती 2 अक्टूबर से प्रदेश में सुपोषण अभियान के शुभारंभ की घोषणा भी की। वहीं गौठान समितियों को प्रतिमाह 10 हजार रूपए की सहायता और 'लेमरू एलीफेंट रिजर्व' बनाने की घोषणा भी की।

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मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ पर आज यहां राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउण्ड में आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली। उन्होंने प्रदेश की जनता को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को रक्षाबंधन और भोजली पर्व की शुभकामनाएं भी दी। 




  • किसानों को आर्थिक आजादी देने के सार्थक कदम

राज्य सरकार ने किसानों को धान का सम्मानजनक दाम देने का फैसला किया। 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल धान, समस्त किसानों के अल्पकालिक कृषि ऋणों की माफी, सिंचाई कर की माफी, वन टाइम सेटलमेंट से किसानों को नए सिरे से खेती के लिए ऋण लेने की सुविधा दिलाने जैसे ठोस कदम उठाए गए हैं। किसी भी राज्य के इतिहास में सरकार की पहल से छह महीनों में किसानों को इतनी बड़ी राशि नहीं मिली होगी। 

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  • गावों की अर्थव्यवस्था को नया जीवन देने की पहल

मुख्यमंत्री ने कहा कि 'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' के माध्यम से गांवों की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को नया जीवन देने की पहल की है। अल्प समय में ही हमने ‘नरवा’ विकास के लिए 1 हजार 28 नालों का चयन किया है। इसके अलावा जल संसाधन विकास की नियमित प्रक्रिया से भी लगभग 1 हजार करोड़ रू. लागत की 223 योजनाओं की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। 


  • ST और SC को बराबरी के अवसर

अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति को बराबरी से विकास के अवसर और सुविधाएं मिलें, इसके लिए हमने लीक से हटकर बड़े कदम उठाए हैं। लोहाण्डीगुड़ा में उद्योग लगाने के नाम पर ली गई किसानों की जमीन हमने सरकार में आते ही वापसी का निर्णय लिया। इस साल 26 जनवरी से जो काम शुरू किया गया था, वह अब पूरा हो चुका है। हमने अबूझमाड़ियों को उनका हक दिलाने की विशेष पहल की है। 




  •  'इन्द्रावती विकास प्राधिकरण' के गठन का निर्णय

हमारी सरकार ने ‘इन्द्रावती विकास प्राधिकरण’ के गठन का निर्णय लिया है। महानदी, शिवनाथ, केलो, हसदेव बांगो, खारून को प्रदूषण से बचाने का काम स्थानीय निकायों के माध्यम से किया जाएगा। बस्तर के अनेक अनुसूचित जनजाति परिवार आपराधिक मुकदमों से राहत दिलाने के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित कर कार्यवाही शुरू की है। 




  • 'कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड' के गठन का निर्णय

स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए बस्तर तथा सरगुजा में 'कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड' का गठन किया जा रहा है। बस्तर तथा सरगुजा संभाग की तरह कोरबा जिले में भी तृतीय तथा चतुर्थ वर्ग के पदों पर भर्ती के लिए जिला संवर्ग की व्यवस्था करते हुए इनकी समय-सीमा भी बढ़ाकर 31 दिसम्बर 2021 कर दी गई है। राज्य की अत्यंत पिछड़ी जनजातियों के युवाओं को शासकीय सेवा में सीधी भर्ती का लाभ दिया जाएगा। 




  • आंगनवाड़ी कार्यकताओं-सहायिकाओं के मानदेय में बढोत्तरी

आंगनवाड़ी कार्यकताओं और सहायिकाओं का योगदान को देखते हुए इनका मानदेय बढ़ाने का निर्णय लिया है। दस हजार आंगनवाड़ी केन्द्रों को नर्सरी स्कूल के रूप में विकसित करने हेतु कार्यवाही शुरू कर दी है। दो हजार आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की मंजूरी दी गई है।


  • सरकार ने 35 किलो चावल देने का वादा निभाया

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकार ने न सिर्फ 35 किलो चावल देने का वादा निभाया है, बल्कि एपीएल परिवारों को भी 10 रू. किलो में चावल प्रदाय करने का निर्णय लिया है। पीडीएस से राशनकार्डधारी परिवारों को चावल, शक्कर, नमक, चना, केरोसिन के साथ-साथ बस्तर संभाग में अंत्योदय एवं प्राथमिकता वाले परिवारों को हर माह दो किलो गुड़ देने का निर्णय लिया है।



  • 15 हजार नियमित शिक्षकों की भर्ती 

नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा के साथ सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने दो दशक बाद 15 हजार नियमित शिक्षकों की भर्ती की जा रही है। शिक्षा को रूचिकर बनाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग शुरू किया गया है, इसे 'ब्लैक बोर्ड से की बोर्ड की ओर' अभियान का नाम दिया गया है। इसी प्रकार महाविद्यालयों में शैक्षणिक तथा गैर शैक्षणिक पदों पर बड़ी संख्या में भर्ती की जा रही है।




  • 'खेल प्राधिकरण' के गठन का निर्णय

प्रदेश में खेल प्रतिभाओं को उचित प्रशिक्षण देकर तराशने के लिए ’खेल प्राधिकरण’, अलग-अलग अंचलों की विशेषताओं के आधार पर स्पोर्टस स्कूल एवं खेल अकादमी की स्थापना का निर्णय लिया है। प्रदेश में 55 खेल प्रशिक्षकों की भर्ती की जाएगी।


  • सबके लिए 'यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम' की पहल

प्रदेश में 'यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम' के अंतर्गत सबके स्वास्थ्य की चिंता की है, जिसके लिए विभिन्न स्वास्थ्य इकाइयों का उन्नयन किया जा रहा है। नारायणपुर, सुकमा तथा कोण्डागांव में विशेष नवजात गहन चिकित्सा इकाई शुरू की गई है। 'मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना' के तहत आदिवासी बहुल अंचलों में स्वास्थ्य जांच, इलाज तथा दवा वितरण की सुविधा का विस्तार किया जा रहा है।


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लाल किले पर आतंकी हमले की आशंका, सुरक्षा एजेंसियों ने जारी किया अलर्ट... इन शहरों में भी हमले का खतरा !

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11 August 2019


नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली स्थित ऐतिहासिक लाल किले पर आतंकी हमला कर सकते हैं। इस बाबत सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है।




सूत्रों के मुताबिक, लाल किले के 3 किमी के दायरे में आतंकी हमले को अंजाम दे सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी कर कहा कि आतंकी, सीवर, गड्ढे और अन्य रास्तों का इस्तेमाल कर हमला कर सकते हैं। 



अलर्ट में कहा गया है कि आतंकी IED, सरकारी गाड़ी और वर्दी का इस्तेमाल भी हमले में कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि आतंकी अफगानिस्तान के पासपोर्ट पर राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हो सकते हैं। 




इन शहरों में हमले की फिराक में हैं आतंकी  सुरक्षा एजेंसियों ने कहा है कि तीन से चार आतंकी दिल्ली में दाखिल हो सकते हैं। खुफिया एजेंसियों ने कुछ संदिग्ध फोन कॉल ट्रेस किए हैं, जिनके बाद इस आशय की पुष्टि हो सकी। एजेंसियों ने कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI देश के शहरों लखनऊ, दिल्ली और गाजियाबाद में आतंकी हमले करा सकती है।



आतंकी हमले के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली हवाई अड्डे पर भी सतर्कता बरतने की सलाह दी है। आतंकी हमले में किसी VVIP को भी निशाना बनाया जा सकता है। इसके साथ ही राजधानी दिल्ली के 17 इलाके संवेदनशील घोषित किए गए हैं।




एजेंसियों ने सभी गाड़ियों की कई लेयर में चेकिंग करने की सलाह दी है।  बताया गया कि पाकिस्तान का आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद राष्ट्रीय राजधानी को निशाना बना सकते हैं। 

बताया जा रहा है कि आतंकी बसों और अन्य परिवहन के साधनों के जरिए दिल्ली में दाखिल हो सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने कहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी हमले के जरिये भारत में माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकती है।


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अब फोन में बिना इंटरनेट के भी चला सकेंगे WhatsApp... नए फीचर अपडेट के बाद मिलेंगी ये खूबियां !

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टेक डेस्क @ इंडिया खबर। सोशल मैजेजिंग एप्प वॉट्सऐप (WhatsApp) में कंपनी नया अपडेट लाने जा रही है। वॉट्सऐप को वेब (Web) या पीसी पर इस्तेमाल करने के लिए अब हमें फोन में इंटरनेट की ज़रुरत नहीं पड़ेगी। 


नए अपडेट के बाद मोबाइल ऑफ़ रहने पर भी डेस्कटॉप पर वॉट्सऐप आसानी से चलाया जा सकता है। 


WABetaInfo ब्लॉग की खबर के मुताबिक, कंपनी एक युनिवर्सल विंडोज़ प्लैटफॉर्म (UWP) ऐप पर काम कर रही है। इसके साथ एक ऐसा मल्टी प्लेटफॉर्म सिस्टम भी पेश किया जाएगा, जिससे आपका फोन के स्विच ऑफ होने पर भी वेब पर WhatsApp चलाया जा सकेगा।  

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हालांकि, अभी वॉट्सऐप वेब का इस्तेमाल मोबाइल ऐप के ज़रिए किया जा सकता है। मौजूदा समय में इसका इस्तेमाल करने के लिए हमारे फोन में इंटरनेट होना ज़रूरी होता है। 

अगर आपका फोन इंटरनेट से कनेक्टेड नहीं रहता है तो आप वेब पर वॉट्सऐप का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। मगर अब बहुत जल्द ये बदलने वाला है। WABetaInfo ब्लॉग ने बताया कि इस नए सिस्टम से यूज़र्स एक ही अकाउंट को एक साथ कई डिवाइस में लॉग इन कर कर सकेंगे। 



नए अपडेट के बाद ये होंगे बदलाव...


  • यूज़र्स के वॉट्सऐप का मेन अकाउंट iPad पर iPhone से बिना uninstall किए चलाया जा सकेगा।


  • एंड्रॉयड और iOS डिवाइस पर सेम अकाउंट चलाया जा सकेगा।


  • फोन इंटरनेट ना होने पर भी वेब पर वॉट्सऐप UWP ऐप का इस्तेमाल किया जा सकेगा.

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ब्लॉग में ये भी बताया है कि अगर बैटरी खर्च होने के डर से यूज़र्स फोन को इंटरनेट से कनेक्ट नहीं रखना चाहते, तो ऐसे में यूज़र्स कंप्यूटर या वेब पर UWP के इस्तेमाल से वॉट्सऐप चला सकेंगे। बता दें कि फिलहाल ये डेवेलपिंग स्टेज पर है, मगर बहुत जल्द इसे सबके लिए लॉन्च किया जाएगा। 


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वन अधिकार के 2872 बंद केस फिर से खुलेंगे, कलेक्टर ने फिर से जांच के जारी किए फरमान

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07 July 2019


बीजापुर। जिले में वन अधिकार मान्यता पत्र की निरस्त की गईं 2872 अर्जियों पर फिर से जांच की जाएगी और फिर तब इससे कुछ परिवारों को फायदा मिल सकेगा। इन अर्जियों की तीसरी बार जांच की जा रही है। 



यहां कलेक्टोरेट में कलेक्टर केडी कुंजाम ने सचिवों और पटवारियों की बैठक ली। मीटिंग में एसडीएम डी राहूल वेंकट उमेश पटेल, एआर राना एवं सहायक आयुक्त सुरेन्द्र ठाकुर मौजूद थे। 


बताया गया है कि 7782 आवेदनों पर वन अधिकार मान्यता पत्र दिए जा रहे हैं और वहीं 2872 अर्जियों को निरस्त कर दिया गया है। इन आवेदनों पर फिर से जांच करने का आदेश कलेक्टर केडी कुंजाम ने दिया। उन्होंने सामुदायिक दावे के अलावा नए आवेदन लेने का भी आदेश दिया। 

सामुदायिक दावों में स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, राशन दुकान, विद्युत संचार एवं दूरसंचार लाइनें, टंकी एवं लघु जलाशय, पेयजल आपूर्ति एवं पानी की पाइप लाइन, जल एवं वर्षा जल के संचयन की संरचनाएं, लघु सिंचाई नहरें, अपारंपरिक उर्जा स्त्रोत, कौशल उन्नयन केन्द्र, सड़कें एवं सामुदायिक केन्द्र शामिल हैं। 

13 दिसंबर 2005 से पहले वन भूमि पर काबिज लोगों को उस भूमि पर अधिकार और पट्टा मिलेगां एक परिवार को अधिकतम दस एकड़ का पट्टा मिलेगा। जीवनयापन के लिए आदिवासियों छोड़कर दूसरे वर्ग के लोगों को सबूत देना होगा कि वे तीन पीढ़ी यानि 75 सालों से वहां रहते हैं।   


मौसमी बीमारियों पर नजर:कलेक्टर केडी कुंजाम ने सचिवों को मौसमी बीमारियों की खबर तत्काल देने और स्कूलों में भी बच्चों के पालकों की बैठक करवाने का आदेश दिया। ज्ञात हो कि बारिश के दिनों में मलेरिया एवं डायरिया की शिकायत अक्सर आती है। 

फफूंद के दिन भी लौट आए..! 6 सौ रूपए किलो के साथ मार्केट में उतरा 'बोड़ा'... साल वनों से आ रहा है बाजार में !

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30 June 2019


पंकज दाऊद @ बीजापुर। पहली बारिश में एक बार फिर यहां सण्डे मार्केट में साल वनों से बोड़ा आने लगा है। ये अभी सौ रूपए सोली यानि करीब दो सौ ग्राम की दर पर बिक रहा है। ये यहां कोण्डागांव और जगदलपुर के मुकाबले डेढ़ से दो गुना दाम पर बेचा जा रहा है। 


अभी इसे बस्तर जिले के साल वनों से कोचिए लाकर बेच रहे हैं। कुछ दिनों बाद कोण्डागांव से भी इसकी आवक होगी। यहां जगदलपुर से आई महिला आरा मसीह ने बताया कि जगदलपुर के मुकाबले यहां इसका दाम दो गुना है। वहां सोली पचास रूपए की दर पर बेचा जा रहा है। यहां ये सौ रूपए में बिक रहा है। 

शासकीय काकतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय धरमपुरा के वनस्पति शास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक तुणीर खेलकर ने बताया कि दरअसल ये कवक यानि फंजाई है। बोड़ा बेसीडियोमाइसीटिस कुल का मेंबर है। ये केवल साल वृक्ष के नीचे ही पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एस्ट्रीज हाइड्रोमेट्रिका है। ये केवल साल वृक्ष के नीचे ही क्यों पनपता है, इस पर रिसर्च अब तक नहीं हुआ है। 


सहायक प्राध्यापक तुणीर खेलकर का मानना है कि साल के पत्ते जब गिरकर सड़ते हैं तो उनमें कुछ ऐसे पोषक तत्व होते होंगे जो बोड़ा के बढ़वार के अनुकूल होंगे। रिसर्च से ही इस बात का खुलासा हो सकता है। 

मेरे अंदर और बाहर क्या ?  सहायक प्राध्यापक तुणीर खेलकर बताते हैं कि बोड़ा का अंदर का हिस्सा गुदेदार होता है जबकि उसका आवरण कड़ा होता है। दरअसल एस्ट्रीज हाइड्रोमेट्रिका के माइसीलियम ( महीन धागेनुमा हिस्से) एक छदम स्केलेरेनकाइमा अंदर बन रहे बीजाणुओं (स्पोर्स) को घेर लेते हैं। स्केलेरेनकाइमा लकड़ी में होता है लेकिन छदम या कूट स्केलेरेनकाइमा है। ये कड़ा होता है। अंदर के हिस्से में स्पोर्स या बीज शुरूवात में एकदम नरम होते हैं। यानि बोड़ा बाहर से छदम स्केलेरेनकाइमा के कारण कड़ा और अंदर बन रहे बीजों के कारण नरम रहता है। जब स्पोर्स बन जाते हैं तब अंदर का भाग भी कुछ कड़ा और काला हो जाता है। 


कंप्यूटर युग में भी जिंदा है मुगलयुगीन माप:
भले ही कंप्यूटर युग आ गया है और खाद्य समेत दीगर वस्तुओं का मापन इसी प्रणाली से हो रहा है लेकिन बस्तर में आज भी हाट-बाजारों में अन्न को नापने के लिए सोली और पैली की परंपरा जिंदा है। बाजार में बोड़ा भी सोली और पैली से यहां बिक रहा है। भारत में अक्टूबर 1962 के बाद से मैट्रिक प्रणाली को आदेशात्मक कर दिया गया है। सोली और पैली सरीखी पुरानी मापन प्रणाली पर सख्त पाबंदी है। 

मौत और जिंदगी के बीच सिर्फ दो सेमी का था फर्क...! रिंकी तेलम के गले को छूती निकल गई माओवादियों की गोली... चार सहेलियां निकली थीं हाईस्कूल में दाखिला लेने और हो गया ये हादसा

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29 June 2019


पंकज दाउद @ बीजापुर। हाईस्कूल में दाखिला लेने के लिए निकली चार सहेलियों में से एक रिंकी तेलम को मौत छूकर निकल गई और इसे चकमा दिया, उसकी किस्मत ने। दरअसल, माओवादियों की गोली रिंकी के गले के पीछे सिर्फ दो सेमी ही घुसकर निकल गई। यदि गोली दो सेंटी मीटर और घुस जाती तो उसकी मौत हो सकती थी।  



हल्लूर गांव की रहने वाली रिंकी तेलम, कुमारी अपका, रीना मण्डावी और जिबो तेलम ने केशकुतल से आठवीं कक्षा उत्तीर्ण की और वे नवीं में भैरमगढ़ में दाखिला का फार्म लेने के लिए शुक्रवार की सुबह दस बजे निकली थीं। वे एक पिक अप में केशकुतूल से सवार हुईं और दो किमी दूर ही जब गाड़ी देवांगन मोड़ के करीब पहुंची तो माओवादियों ने बाइक से गुजर रहे सीआरपीएफ की 199 बटालियन के जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी। 


पिक अप में सवार ड्राइवर ने स्थिति को भांपते तेजी से गाड़ी आगे बढ़ा दी लेकिन तब तक रिंकी और जिबो तेलम को गोली लग गई थी। जिबो को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मृत घोषित कर दिया गया जबकि घायल रिंकी तेलम को जिला हॉस्पिटल रेफर किया गया। जिला हॉस्पिटल में डॉ एस नागुलम ने ऑपरेशन किया। 


डॉ नागुलम ने बताया कि गोली रिंकी के गले के पीछे दो सेमी का घाव बनाकर निकल गई और अंदर तक गोली घुसती तो खतरा हो सकता था। उन्होंने बताया कि रिंकी की हालत खतरे से बाहर है। उसका उपचार जारी है। 


भैरमगढ़ में दाखिला क्यों:  रिंकीकुमारी, रीना और जिबो ने केशकुतूल आश्रम में रहकर आठवीं की परीक्षा पास की थीं। केशकुतूल स्कूल की शिक्षिका उर्मिला नाग ने बताया कि ये छात्राएं भैरमगढ़ में दाखिला लेना चाहती थीं। केशकुतूल में बालिकाओं के लिए आश्रम नहीं है जबकि बालकों के लिए पोटा केबिन है। रहने की सुविधा नहीं होने की वजह से वे भैरमगढ़ में दाखिला लेना चाहती थीं। उन्होंने हाईस्कूल में दाखिले का फार्म नहीं लिया था। वे शुक्रवार को फार्म लेने ही जा रही थीं। 


माओवादियों ने पहाड़ी की ओर से घेरकर जवानों को एम्‍बुश में फंसाया... सड़क पर पत्‍तों के नीचे लगाए थे प्रेशर IED, पेड़ से बरसाई गोलियां, यूबीजीएल भी दागे

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28 June 2019


पंकज दाऊद @ बीजापुर। माओवादियों ने केशकुतूल में शुक्रवार की सुबह हमले से पहले कई दिनों से मैराथन तैयारी कर रखी थी। जवानों को एम्‍बुश में फांसने के लिए उन्‍होंने सड़क के एक ओर प्रेशर बम के अलावा कमाण्ड आईईडी लगा रखे थे। नक्‍सलियों का मकसद पैदल चल रहे जवानों पर गोलीबारी कर उसी ओर धकेलना था, जहां आईईडी लगाए गए थे।






नक्सलियों ने सीआरपीएफ के केशकुतूल कैम्प से सिर्फ दो किमी दूर जवानों को फांसने जाल बिछा रखा था। वारदात के बाद गई पुलिस की टीम ने वहां तीन से अधिक कमाण्ड आईईडी और प्रेशर बम डिटेक्ट किए। माओवादियों ने प्रेशर बम पत्तों और कागज के नीचे लगा रखा था। कमाण्ड आईईडी के तार सड़क से लगे दिखाई दे रहे थे।  

जब जवान मोड़ पर पहुंचे तो नक्सलियों ने एक ओर से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। तीन जवान जिन्हें गोली लगी, वे बाइक छोड़ उतर गए। नक्सली एलएमजी, इंसास, यूबीजीएल एवं दीगर आटोमेटिक हथियार से फायरिंग कर रहे थे। वे पेड़ों पर भी चढ़कर गोली बरसा रहे थे। सड़क के किनारे पुल के नीचे खाली खोखे पाए गए।




एक नक्सली मारा गया, एके 47 ले गए:  ऐसा अनुमान है कि इस वारदात को ५० से अधिक माओवादियों ने अंजाम दिया। जवानों के मुताबिक सड़क से कुछ दूर पर खून के निशान पाए गए हैं और इससे लगता है कि जवाबी कार्रवाई में कम से एक नक्सली या तो बुरी तरह जख्मी हुआ है या फिर मारा गया है। जवाबी कार्रवाई से नक्सली भाग गए। बताया गया है कि नक्सली जाने से पहले एक जवान का एक एके 47, इसके 102 राउण्ड के चार पोच, एक वायरलेस सेट व एक बीपी जैकेट ले गए।

नक्सलियों ने भैरमगढ़ थाना क्षेत्र के केशकुतूल में शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े १० बजे सीआरपीएफ की पार्टी पर हमला किया। इसमें दो एएसआई मदनपाल सिंह, महादेव पाटिल एवं हवलदार साजी ओपी की मौत हो गई। नक्सलियों की फायरिंग में केशकुतूल की ओर से आ रही पिक अप में सवार अल्लूर गांव की बालिका जिब्बी तेलम की भी मौत हो गई जबकि उसकी सहेली रिंकी हेमला घायल हो गई।



पिक अप के चालक ने बताया कि बाजार के दिन वह सवारी लेने के लिए केशकुतूल गया था। वहां उसे अल्लूर गांव की चार बालिकाएं मिलीं जो भैरमगढ़ में स्कूल में दाखिले के लिए निकली थीं। उसकी गाड़ी जब केशकुतूल में एक मोड़ के पास पहुंची तो तीन बाइक में सवार जवानों ने उसे क्रॉस किया। तभी एक ओर से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई।




मुठभेड के बीच ड्राईवर ने तेजी से गाड़ी को आगे बढ़ा दिया क्योंकि छात्राओं की चीखने की आवाज आ रही थी। वह सीधे हॉस्पिटल में जाकर रूका। 

वहां देखा तो छात्रा जिब्बी तेलम की मौत हो गई थी जबकि रिंकी हेमला घायल थी। एसपी दिव्यांग पटेल ने बताया कि बालिका को तत्काल जिला हॉस्पिटल भेजा गया। उसकी हालत खतरे से बाहर है। इधर शहीदों के पार्थिव शरीर को जगदलपुर भेजा गया है। वहां से उन्हें गृहग्राम भेजा जाएगा।



पुलिस-नक्सली मुठभेड में 3 जवान शहीद, क्रॉस फायरिंग में एक छात्रा की भी मौत, बैकअप पार्टी मौके के लिए रवाना

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बीजापुर। छत्‍तीसगढ के बीजापुर जिले से इस वक्‍त की बडी खबर निकलकर सामने आ रही है। यहां पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड में सुरक्षा बल के 3 जवान शहीद हुए हैं। क्रॉस फायरिंग में एक स्‍कूली छात्रा की मौत हो गई है और एक बालिका घायल बताई जा रही है। 



मामला जिले के भैरमगढ़ थानाक्षेत्र के केशकुतूल इलाके का है। बताया जा रहा है कि एरिया डोमिनेशन पर निकले जवानों पर नक्‍सलियों ने अचानक हमला कर दिया। दोनों ओर से काफी देर तक गोलीबारी होती रही। इस हमले में पहले एक जवान के शहादत की खबर आ रही थी वहीं अब बताया जा रहा है कि मुठभेड में जख्‍मी 2 अन्‍य जवान भी शहीद हो गए है।

घटना की पुष्टि पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल ने की है। मुठभेड़ की सूचना के बाद बैकअप पार्टी मौके के लिए रवाना की गई है। घटना से संबंधित विस्तृत जानकारी पुलिस पार्टी के घटनास्‍थल से वापस लौटने के बाद मिलने की बात अधिकारी कह रहे हैं।

एंगपल्ली में फेरीमेग्नेटिक अयस्क का पता चला ! पहाड़ी में खनन कर सड़क पर डाला जा रहा है आयरन ओर

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27 June 2019


बीजापुर। उसूर ब्लाॅक की एंगपल्ली पंचायत के गुबलगुड़ा गांव में फेरीमेग्नेटिक अयस्क मेग्नेटाइट या मैरटाइट के पाए जाने का खुलासा हुआ है। हालांकि, अब तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। बस्तर की लौह अयस्क खदानों में आम तौर पर ये अयस्क नहीं मिलते हैं। 


भोपालपटनम ब्लाॅक के पामगल से मेटूपल्ली के बीच पांच किमी की सड़क प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बन रही है। मेटूपल्ली से लगे उसूर ब्लाॅक की एंगपल्ली पंचायत के गांव गुबलगुड़ा की एक पहाड़ी से सड़क बनाने के लिए मिट्टी का खनन एक-डेढ़ माह से किया जा रहा है। 

कुछ ही दिनों पहले जब मेटूपल्ली के बच्चे चुंबक को लेकर खेलते-खेलते निर्माणाधीन सड़क पर पहुंचे तो उन्होंने वहां चुंबक से पत्थरों को चिपकते देखा। ये बात हौले से व्हाॅट्सएप से फैली। मौके पर जाकर पाया गया, तो बात सही निकली। 

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बताते हैं कि मद्देड़ वन परिक्षेत्र के आरक्षित वन की पहाड़ी से ये ओर निकल रहा है। भोपालपटनम ब्लाॅक के कोंगूपल्ली निवासी महादेव पदम ने बताया कि खनन और मुरमीकरण का काम वे ही करवा रहे हैं। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि यहां पत्थर के टुकड़े चुंबक से चिपक जाते हैं। 

पामगल पंचायत के मेटूपल्ली गांव के बुजूर्ग बाबू यालम बताते हैं कि पचास साल पहले लोहार इसी पहाड़ी से पत्थर लाकर गलाते थे और फिर लोहे से औजार बनाया करते थे। बाबू यालम की बात से तो ये पुष्टि हो जाती है कि खनन क्षेत्र में लौह अयस्क की मौजूदगी है लेकिन ये कौन-सा अयस्क हैै, ये बताना मुमकिन नहीं है। 

मेग्नेटाइट के संकेत:  शासकीय काकतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जगदलपुर के भूगर्भ विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक अमितांशु शेखर झा का इस बारे में कहना है कि मेग्नेटिक प्राॅपर्टी से इस बात के संकेत मिलते हैं कि गुबलगुड़ा में निकल रहा अयस्क मेेग्नेटाइट है। जांच के बाद ही इसकी पुष्टि हो सकती है। 

उन्होंने बताया कि बस्तर में लेटेराइट व हेमेटाइट की खदाने हैं लेकिन मेग्नेटाइट आम तौर पर नहीं पाया जाता है। बैलाडीला और बचेली की खदानों के एक छोटे से हिस्से में मेग्नेटिक गुणधर्म वाला अयस्क मैरटाइट पाया गया है। गुबलगुड़ा में भी  मैरटाइट हो सकता है। 

अफसरों ने किया निरीक्षण तो कई स्कूलों में लटके मिले ताले... BEO के भाई और BRC की बहन भी स्कूल से गायब मिले... शिक्षकों समेत 63 कर्मचारियों का वेतन रोकने की कार्रवाई

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26 June 2019


बीजापुर। शिक्षा सत्र के पहले ही दिन निरीक्षण के दौरान भोपालपटनम ब्लॉक के कई स्कूलों में ताले लटके और व्याख्याता से लेकर भृत्य तक गायब पाए गए। बीईओ सुखराम चिंतूर ने शिक्षकों समेत सभी गैरहाजिर कर्मियों के वेतन रोकने की कार्रवाई की है। 


शिक्षा सत्र के पहले दिन सोमवार को बीईओ सुखराम चिंतूर और बीआरसी मिर्जा खान ने भोपालपटनम ब्लॉक के कई स्कूलों का निरीक्षण किया। उन्होंने कुछ स्कूलों को बंद पाया तो कहीं शिक्षक ही नहीं मिले। इनमें 11 शिक्षक एलबी, 41 सहायक शिक्षक एलबी, व्याख्याता एक, पांच प्रधान अध्यापक, दो उच्च श्रेणी शिक्षक एवं एक भृत्य को गैरहाजिर पाया गया। 

निरीक्षण के दौरान शिक्षकों समेत कुल 63 शालेयकर्मी स्कूल से अनुपस्थित पाए गए। खास बात यह है कि स्कूल से गायब शिक्षकों में बीईओ के भाई और बीआरसी की बहन भी शामिल है। 


बीईओ सुखराम चिंतूर ने सभी के वेतन रोकने की कार्रवाई की। इनमें व्याख्याता विजय झाड़ी, शिक्षक एलबी तोड़ेम मतैया, चिंतूर दशरथ, समर सिंह ठाकुर, के प्रभावती, कुसमा सोनी, परवीन खान, सत्यवल्लभ बंदम, मधुसूदन बंदम, रविन्द्र मोरला, उर्मिला घोड़े, लक्ष्मैया, सहायक शिक्षक एलबी कृष्ण कुमार चिड़ेम, सुशीला गुरला, सुजय कासोजी, जोगेश जंगम, पारेट बचैया, हरेराम शर्मा, आरती चिड़ेम, आर पवन, निरोजा कुन्नूर, पी लक्ष्मीकांता, गुरला सत्यनारायण, संपूर्ण स्वामी, लीलावती गुरला, एट्टी अशोक, रूकमणी गुरला, पी वेणुगोपाल, दिलीप गोलीवार, पार्वती चिड़ेम, वासम आनंद, यालम शंकर, ललैया माझी, सुशील कुमार गुरला,  सत्यनारायण जंगटी, वासम सुरेश, ओमप्रकाश फागे, पालदेव प्रवीण, सवलम रामाराव, आनंद गोटा, आलोक पुलसे, नक्का देवेन्द्र, कोड़े गणपत, गोतूर संतोश, बड़दि कंतैया, मरकेला जितेन्द्र, शैलेष वाडेकर, तमड़ी समैया, एन रामाराव, बोगुल ललैया, शेख शौकत, वासम संटी एवं ज्ञानसिंह पिस्दा शामिल  हैं। 

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इनके अलावा प्रधानाध्यापक सुशील दम्मूर, मांटूर तीरतपैया, प्रवीण कुमार कुड़ेम, देवेन्द्र गुरला, कामेश्वर एट्टी, उच्च श्रेणी शिक्षक के सत्यनारायण, पी शकुंतला, अनुदेशक ममता यालम, सुजाता पालदेव एवं भृत्य तौसीफ कल्लूड़ी गैर हाजिर मिले। 

कार्रवाई शिक्षकों में हड़कंप:  इस कार्रवाई से शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। बीईओ सुखराम चिंतूर का कहना है कि शिक्षा सत्र के पहले दिन स्कूल नहीं आना बेहद गंभीर विषय है। इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर कठोर कार्रवाई होगी। 

अबुझमाड़ के ‘हैबिटैट राइट’ की जंग छिड़ी... बुद्धिजीवियों और अबुझमाड़िया लीडरों ने की मैराथन बैठक, MP के 'बैगाचक' की तर्ज पर बने ऐसा इलाका

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23 June 2019


पंकज दाऊद @ जगदलपुर। बस्तर के 3905 वर्ग किमी में फैले असर्वेक्षित अबुझमाड़ में बसने वाली जनजाति अबुझमाड़ियों के लिए बैगा आदिवासियों के आठ गांवों के इलाके मप्र के बैगाचक की तर्ज पर अब ‘हैबिटैट राइट’ की मांग ने जोर पकड़ लिया है। यानि अब पूरे अबुझमाड़ का कलेवर बदलने की तैयारी की जा रही है।


इस सिलसिले में रविवार को नारायणपुर में एक बैठक हुई। इसमें विषेष रूप से पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम, सामाजिक कार्यकर्ता नरेश बिषश्वास, लेखक शुभ्रांषु चौधरी, राजीव गांधी फाउण्डेशन के मनोज मिश्रा मौजूद थे। 

हैबिटैट राइट के लिए शुरू इस मुहिम की मैराथन बैठक नारायणपुर के माड़िया भवन में चली। इसमें कुछ खास बिंदुओं पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने बताया कि तीन तरह के वनाधिकार होते हैं। पहले तो व्यक्तिगत वन अधिकार एक परिवार को मिलता है। दूसरा सामूहिक वन अधिकार एक गांव को मिलता है और तीसरा है पर्यावास या हैबिटैट का अधिकार। ये पूरे समुदाय को मिलता है। 


अब बुद्धिजीवी इसी के तहत समूचे अबुझमाड़ के अधिकार की बात कर रहे हैं। अब तक देश में एक ही समुदाय को हैबिटैट का अधिकार मिला है और वह है बैगा। मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में आठ गांव के बैगा आदिवासियों को बैगाचक का हैबिटैट राइट दिया गया है।



वन अधिकार कानून कहता है कि अति कमजोर आदिवासी समूहों को उनके पूरे पर्यावास (हैबिटैट) का अधिकार दिया जा सकता है।  जंगल का अधिकार कानून देश में 2006 से लागू है। इसमें कहा गया है कि अति कमजोर आदिवासी समूहों में शिक्षा का स्तर अत्यंत नीचे है। इस वजह से ये जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह अति कमजोर आदिवासी समूह के साथ मिलकर हैबिटैट राइट के आवेदन की प्रक्रिया की शुरूआत करे।

पिछले 13 साल में ये संभव नहीं हो पाया लेकिन अब ये देखना है कि जिला प्रषासन ये अधिकार अबुझमाड़ियां को दिला पाता है या नहीं। यह भी गौर करना है कि इससे यहां जारी हिंसा में कमी आएगी या नहीं। 

बस्तर के पहाड़ों में बसते हैं देवता:पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा कि बस्तर के पहाड़ों में भी आदिवासियों के देवताओं का वास है और इसे उद्योग घरानों को दिया जा रहा है। जब राम मंदिर को आस्था से जोड़ा गया है तो बस्तर के पहाड़ों को क्यों नहीं ? उन्होंने कहा कि बस्तर में पेसा कानून लागू है लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। 



संविधान में छठी अनुसूची का प्रावधान है लेकिन सरकारें ध्यान नहीं दे रही हैं। अबुझमाड़ में जो भी काम हुए वे ब्रिटिश काल में ही हुए। थोड़ा बहुत सर्वे और अध्ययन अंग्रेजों ने ही करवाया। सड़कें और दीगर सुविधाएं भी ब्रितानी हुकूमत के दौरान ही दी गईं। इसके बाद राज्य और केन्द्र सरकारों ने कुछ नहीं किया। 


खनन के हक भी मिल जाएंगे:सामाजिक कार्यकर्ता नरेश विष्वास का कहना है कि जब अबुझमाड़ियों को हैबिटैट राइट मिल जाएंगे, तो मिनरल्स के खनन की अनुमति भी अबुझमाड़िया देंगे। एक व्यक्ति या एक गांव इसकी अनुमति नहीं दे सकेगा। तब यहां खनन की अनुमति लेना आसान नहीं होगा। 


राइट लेने की प्रक्रिया काफी जटिल है क्योंकि माड़ के आठ परगनों के माझ़ी, मुखिया और दीगर प्रतिनिधियों को इसके लिए जिला मुख्यालय आकर आवेदन देना होगा। नरेष विष्वास ने कहा कि तत्कालीन बस्तर कलेक्टर बीडी शर्मा ने अबुझमाड़ के पर्यावास अधिकार के लिए सरकार को चिट्ठी लिखी थी ओैर इस दिशा में उन्होंने काफी काम किया। 

ये हो सकते हैं हैबिटैट के कदम:किसी क्षेत्र को पर्यावास के हक के लिए कुछ चरणों से गुजरना होगा। उस क्षेत्र के जिलों के नाम, गांवों की सूची और आबादी, पारंपरिक संस्था के साथ बैठक, पारिस्थितिकीय मापदण्ड, जनसांख्यिकी मापदण्ड, आर्थिक मापदण्ड, भौतिक और सांस्कृतिक लक्षण पर गौर करना होगा। हैबिटैट राइट के लिए समुदाय की जानकारी, गोत्र-गढ़ की जानकारी, सामाजिक (स्वषासन ) की जानकारी,सांस्कृतिक जानकारी, आजीविका का संबंध,लैण्डमार्क, पारंपरिक ज्ञान, ऐतिहासिक प्रभाग एवं दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी। 

इस सब्जी वाली की हेयर स्टाइल क्यों है खास..? जनजातियों की पहचान भी बताता है इनका पहनावा... पढ़िए ये खबर

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पंकज दाऊद @ बीजापुर। यहां साप्ताहिक मार्केट में एक खास तरीके की हेयर स्टाइल वाली कुछ महिलाएं सब्जी बेचते दिख जाती हैं लेकिन ये हेयर स्टाइल ही नहीं बल्कि ये है इनके रहने के स्थान और जाति की पहचान भी। 



दरअसल, ओडिशा से लगे बस्तर जिले के बकावण्ड, बस्तर और जगदलपुर ब्लाॅक में भतरा जनजाति बसती है। छग के इन्हीं ब्लाॅक से लगे ओडिशा में भी ये जनजाति है। इस जनजाति की महिलाओं की पहचान उनका जुड़ा सीधे ना होकर एक ओर होता है और ये खास अंदाज में होता है। भतरी में इस स्टाइल को 'टेड़गा खोसा' कहा जाता है।  


इसी तरह इनकी साड़ी पहनने का ढंग भी कुछ अलग ही होता है। ये साड़ी को लपेट कर घुटनों तक पहनते हैं। इसके अलावा इनकी पहचान नाक में पहनने वाली नोज पीस भी है, जो कुछ बड़ी होती है। भतरी बोलने वाली इस जनजाति की कुछ महिलाएं यहां साप्ताहिक मार्केट में दिखती हैं। 



वे शनिवार को ही सब्जी लेकर आ जाती हैं। सण्डे को सब्जी बेचने के बाद कभी-कभार वे सोमवार को बची सब्जियां बेचकर अपने गांव निकल जाती हैं। करीब दो सौ किमी दूर बस्तर, बकावण्ड और जगदलपुर के अलावा ओडिशा से आने वाली इन महिलाओं को यहां मुनाफा ज्यादा दिखता है क्योंकि यहां सब्जियों के दाम अधिक हैं। 


रहन-सहन और पहवाना भी अलग:  बस्तर की जनजातियों के रहन-सहन और पहनावे के साथ श्रृंगार भी अलग अलग हैं। इस बारे में बस्तर के जाने-माने मानव विज्ञानी डाॅ राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि बस्तर के दरभा, तोकापाल, छिन्दगढ़, बस्तर और जगदलपुर ब्लाॅक में बसने वाली धुरवा जनजाति के पुरूष भी अपनी हेयर स्टाइल से तुरंत पहचान लिए जाते हैं। 


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धुरवा पुरूषों के बाल 'चाणक्य' कट में होते हैं यानि सामने के बाल काट दिए जाते हैं और लंबी चोटी रखी जाती है। इधर, नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों में फैले अबुझमाड़ में बसने वाली जनजाति अबुझमाड़िया पुरूषों की पगड़ी भी उनकी पहचान बता जाती है। वहीं नारायणपुर और कोण्डागांव जिलों में बसने वाली मुरिया ट्राइब की महिलाएं एक या दो चोटी रखती हैं। 


जार्ज पंचम के सिक्के श्रृंगार में काम आ रहे:   ब्रितानी हुकूमत होने के दौरान जार्ज पंचम के खरे चांदी के सिक्के सालों पहले चलन में आए और राज खत्म होने पर इनका चलन भी बंद हो गया लेकिन चांदी का मोल अब भी है। अबुझमाड़ में महिलाएं जार्ज पंचम के सिक्कों को माले के साथ पहनती हैं। अब ये भी इनके श्रृंगार का हिस्सा है। 

नक्सली वारदात के बाद मौके पर 22 घंटे तक पड़ी रही सपा नेता की लाश... शव के नीचे IED का था खतरा, काफी जद्दोजहद के बाद पार्थिव देह लेकर लौटे परिजन

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19 June 2019




पंकज दाऊद @ बीजापुर। भोपालपटनम ब्लॉक के मरीमल्ला की पहाड़ी में सपा नेता संतोष पूनेम की हत्या के बाद मिनकापल्ली से मौके तक 13 किमी में सिर्फ दहशत का ही मंजर चारों ओर नजर आया। 



बुधवार को जब सपा नेता संतोष के रिश्तेदार और पत्रकार वहां पहुंचे तो हत्या के करीब 22 घंटे बाद तक उनका शव वैसा ही पड़ा रहा और तब तक इसे किसी ने उठाने की हिम्मत नहीं जुटाई क्योंकि इसके नीचे आईईडी होने का डर सभी को सता रहा था। 

संतोष पूनेम की हत्या मंगलवार की दोपहर करीब साढ़े तीन बजे नक्सलियों ने की थी। ये ऐसा इलाका है जहां किसी का आना-जाना नहीं है। मिनकापल्ली से मौके तक एक भी गांव नहीं है। ये दूरी कोई 12 से 13 किमी की है। जिला मुख्यालय से 407 और बाइक में आए संतोष के परिजन के अलावा कुछ पत्रकार मौके तक पहुंचे। 



इसमें मिनकापल्ली से जाने में करीब डेढ़ घंटे लग गए। घाटी जहां सड़क नहीं बन पाई है और पथरीले रास्ते हैं। मरीमल्लपा की पहाड़ी में सड़क पर ही नक्सलियों ने पूनम की हत्या की थी और दो वाहनों से 22 घंटे बाद भी आग की लपटें निकल रही  थीं। 


परिजनों को शव को उठाने के लिए काफी सोचना पड़ा। इसके बाद पैर में रस्सी बांधी गई और इसे खींचा गया। इस बात की तस्दीक हो गई कि आईईडी प्लांट नहीं किया गया है। फिर शव को गाड़ी में डाला गया और जिला मुख्यालय लाया गया। रिष्तेदारों में ज्यादातर महिलाएं थीं। 




मातम पसर गया है पूनेम परिवार में:   सपा नेता के शव को लेने के लिए उनके बड़े बेटे राकेश पूनेम जो जगदलपुर में बीए फाइनल में पढ़ते हैं, वे गए थे। उनके साथ उनकी बहने भी थीं। संतोष की तीन पत्नियां हैं और वे सभी मरीमल्ला गईं थीं जहां हृदयविदारक रूदन सुनाई पड़ रहा था। 


संतोष पुनेम की पहली पत्नी कांता पूनेम, दूसरी पत्नी निम्मा पूनेम और तीसरी पत्नी अनिता पूनेम शव लेकर बीजापुर पहुंचीं। संतोष को कांता से तीन, निम्मा से एक और अनिता से तीन बच्चे हैं। वे सभी बीजापुर में ही रहते हैं। 




48 किमी सड़क बनाना है टेढ़ी खीर:  लोक निर्माण विभाग ने 48 किमी सड़क को खण्डों में ठेके पर बनाने दिया है। एक से 6 किमी और 36 से 48 किमी का काम शिवशक्ति कंस्ट्रक्शन को मिला है। 7 से 12 किमी का काम साईं ट्रांसपोर्टर भिलाई, 13 से 18 किमी का ठेका यतेन्द्र चंद्राकर बिलासपुर, 19 से 25 किमी का ठेका पंकज हलधर पखांजूर, 26 से 28 किमी का काम केआर इंफ्रास्ट्रक्चर भिलाई, 29 से 31 किमी का ठेका भाग्याराव बीजापुर एवं 32 से 35 किमी का ठेका राजन सिंह दुर्ग को दिया गया है। 


सड़क के दोनों छोर का काम लगभग पूरा हो गया है लेकिन दिक्कत बीच वाले खण्डों की है क्योंकि ये अति संवेदनशील क्षेत्र है। ठेका फरवरी 2015 से दिया गया था। 2018 में भी अनुबंध किया गया। बहरहाल इस सड़क को बनाना आसान नहीं है। इसके पहले भी अन्नारम में दो साल पहले नक्सलियों ने आठ वाहनों को आग के हवाले किया था। 

तीन किलो वजनी 'हाथीझूल' आम ने मचा रखी है धूम... नुकनपाल के इस फार्म हाऊस में है सबसे बड़ा 'फलों का राजा'

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10 June 2019


पंकज दाऊद @ बीजापुर। फलों की सल्तनत में सुल्तान आम है और आमों की सल्तनत की बात करें, तो बीजापुर जिले की आबोहवा में पैदा होने वाली एक किस्म 'हाथीझूल' आमों की सल्तनत का सुल्तान है। आम तौर पर ये ढाई से 3 किलो तक वजनी होता है लेकिन इसका अधिकतम वजन 3 किलो 900 ग्राम तक पाया गया है। 




यहां से सात किमी दूर नुकनपाल गांव के किसान रामा तलाण्डी, गोविंद तलाण्डी, नारायण तलाण्डी, समैया तलाण्डी और शंकर तलाण्डी का सात एकड़ का एक साझा फार्म हाऊस है। पहले उनके पिता तलाण्डी मुतैया इस फार्म को देखते थे। उनके गुजर जाने के बाद उनके पुत्रों ने इसे देखना शुरू किया। 

तलांडी भाईयों ने 2010 में हाथीझूल किस्म के तीन ग्राफ्टेड पौधे लगाए थे। छह साल में इनका फलन शुरू हुआ। एक पेड़ में 25 से 30 आम फलते हैं। आम का वजन इतना अधिक होता है कि कभी-कभी हवा आने पर ये गिर जाते हैं। इन दिनों तीनों पेड़ों पर आम फले हैं। इस साल ढाई से साढ़े तीन किलो तक वजनी आम आ रहे हैं। 


तलाण्डी परिवार इसे लोकल मार्केट में बेचता है या फिर लोग उनके घर आकर ही इसे खरीद ले जाते हैं। यहां सरकारी नौकरी करने वाले लोग इसे अपने घर दुर्ग, रायपुर और भिलाई तक ले जाते हैं। आम की साइज बड़ी होने से इसकी काफी डिमाण्ड है क्योंकि ये अधिक रसीला और गुदेदार है।

25 वेरायटी हैं बागीचे में:  तलाण्डी परिवार के इस बागीचे में आम की करीब 25 किस्में हैं। इनमें नीलम की तीन किस्में हैं। इनके अलावा बैंगनपल्ली, तोतापरी, दशहरी, लंगड़ा आदि किस्मे हैं। इस फार्म की खासियत ये है कि यहां दस से बारह पेड़ अचार वाले आम के हैं। नारायण तलाण्डी जो पेशे से शिक्षक हैं, बताते हैं कि आम के पौधे बेंगलोर और राजमहेन्द्री से मंगाए गए हैं। 


इस फार्म हाऊस में दो तालाब भी हैं। यहां देसी मांगूर का पालन होता है। इसे सात सौ रूपए किलो में बेचा जाता है। इसके अलावा काॅमन काॅर्प, रोहू, कतला ओर मृगल मछलियों हैं। ये दो सौ रूपए किलो की दर पर बिकते हैं। बाजार में इनकी काफी मांग है। 

छग में नहीं है इतना बड़ा आम:  उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक विनायक मानापुरे बताते हैं कि छग में लगी किसी भी प्रदर्शनी में उन्होंने हाथीझूल से बड़ा आम नहीं देखा। इस किस्म की उत्पत्ति के स्थल के बारे में किए गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दरअसल, पामलवाया में नर्सरी 35 साल पहले बनी है और इस वेरायटी को कहां से लाया गया, इसका रेकाॅर्ड नहीं है। 


मानापुरे के मुताबिक कई साल पहले नई दिल्ली में लगी एक नुमाईश में जिले से तीन किलो नौ सौ ग्राम का एक आम रखा गया था। इसके लिए विभाग को पुरस्कृत भी किया गया। उन्होंने बताया कि हाथीझूल आम के ग्राफ्टेड पौधे पामलवाया नर्सरी में तैयार किए जाते हैं। 

सेब और अंजीर भी:  सामान्य तौर पर ठण्डे स्थानों पर उगने वाले सेब और अंजीर के पेड़ भी इस बगीचे में हैं। सेब और अंजीर के दो-दो पेड़ हैं। अगस्त से जनवरी के बीच सेब फलते हैं। परेशानी ये है कि सेबों को चूहों से नुकसान होता है। यहां तेजपत्ता, नारियल, केला, चीकू, अंगूर, संतरा, शहतूत, कटहल, सल्फी, सुपाड़ी, आंवला आदि के पेड़ हैं। 


इस CRPF अफसर ने नक्सलगढ में 3 साल सेवाएं देकर जीता लोगों का दिल... ना किसी की जान ली, ना जान दी !

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08 June 2019


पंकज दाऊद @ बीजापुर। जिले के एक सबसे खतरनाक माने जाने वाले इलाके गंगालूर में सीआरपीएफ की 85 बटालियन के कमाण्डेंट सुधीर कुमार ने तीन साल तक सेवा दी। इस दौरान उन्होंने लोगों से मेलजोल और मदद की रणनीति पर ज्यादा भरोसा किया। उनके कार्यकाल में इस इलाके में फोर्स को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा और वामपंथ अतिवाद प्रभावित इलाके के लोग भी फोर्स के करीब आए। 



हाल ही में कमाण्डेंट सुधीर कुमार तबादले पर नई दिल्ली चले गए और उनके स्थान पर यादवेन्द्र सिंह यादव ने ज्वाइनिंग दी। सुधीर कुमार की पदस्थापना यहां जुलाई 2016 में हुई थी। सीआरपीएफ की 85 बटालियन की कंपनियां गंगालूर एक्सिस में तैनात हैं और एक कंपनी महादेव घाटी के नीचे तैनात है। 


बता दें कि तीन साल पहले गंगालूर रोड में आए दिन रोड काटने की वारदातें अक्सर होती थीं। इसे देखते सुधीर कुमार ने नई रणनीति पर अमल करते एक नजीर पेश की। नक्सलवाद से निपटने उन्होंने मदद के जरिए प्रभावित गांवों के लोगों का ब्रेन वाॅश करना शुरू किया। सिविक एक्शन के जरिए उन्होंने लोगों का दिल जीता और उन्हें रोजमर्रा की जरूरत के सामान दिए। 




विषम भौगोलिक स्थिति व परिवहन के साधनों के अभाव के बीच उन्होंने स्वास्थ्य सेवा की शुरूवात की क्योंकि जटिल हालात में अंदरूनी गांवों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचना मुश्किल होता है। लोगों के लिए टेली मेडिसीन कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया और डोर टू डोर मेडिसीन का बंदोबस्त किया गया। 

पामलवाया के एक व्यक्ति का पैर नक्सलियों ने काट दिया था, उसे बटालियन की ओर से कृत्रिम पैर दिया गया। ऐसे मरीज जिन्हें अच्छी स्वास्थ्य सुविधा की जरूरत थी, उन्हें सुधीर कुमार ने बाहर भेजकर इलाज करवाया। कमांडेंट की पहल पर जरूरतमंद मरीजों को बटालियन के जवानों द्वारा समय-समय पर रक्तदान भी किया गया। किसी भी फोर्स में बाइक एंबुलेंस एक नवाचार है और इसकी शुरूवात भी 85 बटालियन से हुई। 




एंटी नक्सल ऑपरेशन भी चलाया:  गंगालूर एक्सिस में सीआरपीएफ की 85 बटालियन के तत्कालीन कमाण्डेंट सुधीर कुमार ने कांबिंग ऑपरेशन और एंटी नक्सल ऑपरेशन भी चलाए। इस दौरान कई कुख्यात नक्सलियों को पकड़ा गया और कई नक्सली मेन स्ट्रीम में लौट आए। ग्रामीणों में फोर्स के प्रति इतना भरोसा जागा कि आईईडी की खबर वे खुद बटालियन को देने लगे।

कमांडेंट सुधीर कुमार के कार्यकाल में विधानसभा और लोकसभा चुनाव बगैर खूनखराबे के हो गए। जवानों ने मतदाताओं के लिए ठण्डे पानी और भोजन की व्यवस्था भी की थी। यही नहीं बाइक एंबुलेंस से बुजुर्ग मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक जवानों की ओर से लाना भी सुर्खियां बटोरा। ये भी एक मिसाल है। 

5 साल में पीएम मोदी की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस... पूछे गए 19 सवाल पर नहीं दिया कोई जवाब... क्या सोचते रहे पीएम मोदी देखिए VIDEO

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18 May 2019


नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव प्रचार का आखिरी दिन ऐतिहासिक रहा। जो पिछले पांच साल में कभी देखने को नहीं मिला, वो चुनाव प्रचार के आखिरी दिन हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ 5 साल में पहली बार पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। हालांकि, नरेंद्र मोदी ने किसी भी पत्रकार के सवाल का जवाब नहीं दिया।


मोदी ने कहा कि 'मैं पार्टी का अनुशासित कार्यकर्ता हूं। जवाब अध्यक्षजी ही देंगे।' प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों ने कुल 19 सवाल पूछे। इन सभी सवालों के जवाब अमित शाह ने दिए। इस दौरान पीएम मोदी शांत बैठे रहे।  

इससे पहले मोदी ने दोबारा सत्ता में आने का विश्वास जताया। उन्होंने कहा कि ये चुनाव सकारात्मक और शानदार रहा है। हमें विश्वास है कि हम पूर्ण बहुमत के साथ वापसी करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय बाद देश में कोई पार्टी लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर आ रही है।

देखिए VIDEO


उधर, मोदी-शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कॉन्फ्रेंस की। राहुल ने कहा, 'मैं लाइव सवाल पूछ रहा हूं, पीएम मोदी ने राफेल के मुद्दे पर मुझसे खुली बहस क्यों नहीं की?' राहुल के इस सवाल को लेकर जब शाह ने पूछा गया, तो उन्होंने कहा- जब संसद में इस पर जवाब दिए गए, तब राहुल वहां सुनने के लिए भी नहीं बैठे।

EE सहित 3 अफसरों की रुकी तनख्वाह, फिर भी नहीं बन सकी ये सड़क... 25 करोड़ का हुआ भुगतान और अमानक हो रहा काम

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17 May 2019


पंकज दाऊद @ बीजापुर। यहां से गंगालूर तक 25 किमी के चौड़ीकरण, कांक्रीट और डामरीकरण का काम एकदम कच्छप चाल से चल रहा है और वह भी अमानक। घटिया और लेटलतीफी वाले काम के लिए इस मामले में ईई, एसडीओ और एक सब इंजीनियर की तनख्वाह भी रोक दी गई है लेकिन काम में सुधार होता नहीं दिख रहा है। 


गंगालूर-बीजापुर का काम पीएमजीएसवाय ने ठेके पर दिया है। अक्टूबर 2017 में शुरू इस काम में कोई तेजी नहीं दिख रही है। छह माह में इसकी मियाद खत्म हो जाएगी। काम की गति से नहीं लगता कि छह माह में गुणवत्ता का काम हो पाएगा क्योंकि एक माह बाद बारिश शुरू हो जाएगी। हालांकि ईई पीएम साहू ये दावा करते हैं कि काम पूरा हो जाएगा। 

बता दें कि 25 किमी लंबी इस सड़क का ठेका 44 करोड़ रूपए का है और ठेकेदार को 25 करोड़ रूपए का भुगतान कर दिया गया है। इसमें सड़क का चौड़ीकरण, सीसी और फिर डामरीकरण का काम होना है। सीसी और डामरीकरण 5.5 मीटर तय है लेकिन इसकी असल चौड़ाई 9 मीटर है।

पुल और सीसी सड़क का काम अमानक है और इसके लिए कलेक्टर केडी कुुंजाम ने भी अफसरों की खिंचाई की थी। इसके बाद भी काम में सुधार नहीं हो पा रहा है। 

सीसी सड़क और पुलों की क्यूरिंग ठीक से नहीं हो रही है। सीसी सड़क बनने के कुछ ही दिनों में उखड़ने लगी थी और उस पर डामर डालकर लीपापोती कर दी गई। इस मार्ग में 43 पुल बनने हैं और करीबन सभी पुल बन गए हैं। इस मामले को लेकर सरपंच मंगल राना समेत गांव के लोगों ने कलेक्टर केडी कुंजाम से शिकायत भी की थी। 

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हालांकि, ईई पीएम साहू का दावा है कि छह माह में काम हो जाएगा। पुलों की घटिया हालत के बारे में उन्होंने कहा कि इन्हें ठीक ठाक करने निर्देश मिले हैं और तब तक उनके अलावा एसडीओ और सब इंजीनियर की तनख्वाह रोक दी गई है। ईई ने कहा कि काम की धीमी चाल सुरक्षा को लेकर भी है। नियमित रूप से फोर्स नहीं मिल पाती है ओैर बगैर सुरक्षा के काम नहीं किया जा सकता। पुलिस मना करती है। 

घटिया हो रहा काम- सरपंच  इस बारे में गंगालूर के सरपंच मंगल राना का कहना कि शिकायत के बाद भी काम धीमा है। पुलों में गुणवत्ता नहीं है। सीसी सड़क कई स्थानों पर इसलिए उखड़ गई क्योंकि क्यूरिंग ठीक से नहीं की गई और सीमेंट भी ठीक नहीं था। उन्होंने अफसरों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। 

यहां आ गई है चमगादड़ों की शामत, दवा और मांस के लिए हो रहे गुलेलबाजों के शिकार

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पंकज दाऊद @ बीजापुर। इन दिनों यहां महादेव तालाब में अपनी जीभ तर करने आने वाले उड़न स्तनधारी 'चमगादड़ों' की शामत ही आ गई है। ये मांस और दवा के लिए गुलेलबाजों का शिकार हो रहे हैं। 


चमगादड़ यानि इंडियन फ्लाईंग फाॅक्स या ग्रेटर इंडियन फ्रूट बैट झुण्ड में इस भीषण गर्मी में पानी की पूर्ति के लिए यहां महादेव तालाब में सूरज के ढलते ही मण्डराने लगते हैं। फलों के रस से पानी की पूर्ति नहीं हो पाने के चलते इन्हें तालाब तक आना पड़ता है। ये तालाब के उपर कुछ इस तरह उड़ते हैं कि वे अपनी जीभ पानी में डूबों लें और जीभ तर हो जाए। 

बड़ी संख्या में आने वाले इन स्तनधारियों पर गुलेलबाजों की गिद्धदृष्टि बनी रहती है। सूरज ढलने के बाद गुलेलबाज तालाब के किनारे गुलेल लिए इन्हें निशाना बनाते हैं। एक गुलेलबाज ने बताया कि वे इसे खाने के लिए ले जाते हैं। इसका मांस बड़ा लजीज होता है और इसकी वे तरकारी बनाते हैं। वे बताते हैं कि इसके मांस में औषधीय गुणधर्म होते हैं। 

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ज्ञात हो कि केवल हिन्दुस्तान में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी चमगादड़ों का शिकार होता है। पाकिस्तान में इसके मांस में गठिया रोग ठीक होने की बात कह इसे मार दिया जाता है और नतीजतन, इनकी संख्या वहां गिरी है। 

भारत में कुछ जनजातियां इसके मांस को अस्थमा और छाती दर्द की दवा बताकर खाते हैं। बांग्लादेश में एक जनजाति विशेष इसके रोंए का इस्तेमाल कंपकंपी वाले ज्वर के लिए इस्तेमाल करती है। इंडिया में भी कुछ जनजातियां इसे खाती हैं। 
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