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नक्सलियों की गोली से घायल हुआ था जवान, 13 साल बाद हुई शहादत

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11 October 2019


धमतरी। बस्तर के जंगलों में नक्सलियों से लोहा लेने वाला एक जांबाज सिपाही 13 साल बाद अपनी जिंदगी की जंग हार गया। नक्सली मुठभेड़ में घायल होने के बाद बीते 13 सालों से जवान जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा था। गुरुवार को इलाज के दौरान जवान की शहादत हो गई। 



बता दें कि ग्राम सलोनी निवासी आरक्षक बसंत नेताम की 1992 में पुलिस में भर्ती के बाद पहली पोस्टिंग दंतेवाड़ा में हुई। 13 साल पहले वे गोलापल्ली थाना में पदस्थ थे। गश्त के दौरान पुलिस पार्टी के इंचार्ज एपीसी रामगोपाल के साथ थाने लौट रहे थे, तभी तारला मुड़ा-नालापल्ली तिराहे में घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने पुलिस पार्टी पर फायरिंग कर दी। 

11 जून 2006 को हुए इस मुठभेड़ में आरक्षक बसंत नेताम को तीन गोलियां लगी। नक्सलियों की एक गोली किडनी व एक गोली आंत को चीरते हुए पार हो गई। एक महीना कोमा में रहने के बाद उसकी जिंदगी बच गई थी। इस दौरान वह जख्मों को इलाज कराता रहा, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते बेहतर इलाज नहीं करा पा रहा था। आखिरकार आठ अक्टूबर को उसने अंतिम सांसें लीं।



बताया गया कि नक्सलियों की एक गोली आंत से होकर सीने में जाकर फंस गई थी। इस वजह से वे कोमा में चले गए। हेलीकॉप्टर से उन्हें रायपुर पहुंचाया गया। मेकाहारा में उपचार के बाद रामकृष्ण अस्पताल में उपचार चला। डॉक्टरों ने एक किडनी निकाल दी। किसी तरह हालत सुधरने पर उन्हें घर लाया गया। तब से लेकर आठ अक्टूबर 2019 तक उनका जीवन संघर्ष में बीता। इस दौरान तीन बार उनका आपरेशन किया गया।

जवान बसंत नेताम के शरीर का पाचन तंत्र पूरी तरह फेल हो चुका था। शरीर में खून नहीं बनता था। इसलिए हर 6-7 महीने में शरीर का खून बदलना पड़ता था। सितंबर के आखिरी पखवाड़े में उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। तब उन्हें धमतरी के मसीही अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद रायपुर के नारायणा अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।


पति को मिले शहीद का दर्जा   नक्सली मुठभेड़ में मृत पुलिस आरक्षक बसंत नेताम की पत्नी जानकी नेताम का कहना है कि मेरे पति को शहीद का दर्जा मिलना चाहिए। क्योंकि वर्ष 2006 के नक्सली मुठभेड़ में बहादुरी से लड़ते हुए उनको गोली लगी थी। उसी गोली के कारण किडनी, आंत और शरीर के अन्य अंगों ने काम करना बंद कर दिया। 13 साल तक तकलीफदेह जिंदगी जीने के बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

बता दें कि बसंत नेताम अकेले ही परिवार में कमाने वाले थे। उनकी आय से ही परिवार का भरण-पोषण चल रहा था। शहीद होने के बाद अब उनके परिवार के सामने आर्थिक संकट आ गया है। परिवार में पत्नी जानकी के अलावा एक पुत्र और दो बेटियां हैं। पुत्र डिकेश एमए, पुत्री ज्योति बीए और मनीषा 8वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है। परिजनों ने परिवार की आर्थिक दशा सुधारने डिकेश को सरकारी नौकरी देने की मांग सरकार से की है। 


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प्याज को लेकर महिलाओं में हुई हिंसक लड़ाई, मारपीट में घायल 5 महिलाएं अस्पताल में भर्ती

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लखनऊ। लोगों की आंखू में आंसू लाने वाला प्याज अब लड़ाई-झगड़े का कारण भी बन रहा है। एक ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले से सामने आई है, जहां एक गांव में प्याज को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि मारपीट की नौबत आ गई। 



दरअसल, दो महिलाएं बाजार में सब्जी खरीदने गई थीं। इसी दौरान एक महिला ने प्याज के दाम के बहाने सामने वाली महिला पर तंज कसना शुरू कर दिया। इस बात पर विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों महिलाओं के बीच मारपीट होने लगी। इस घटना में घायल हुए लोगों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मामला बुधवार सुबह शुरू हुआ, जब कलखेरी गांव की नेहा प्याज के दामों को लेकर एक सब्जी बेचने वाले फेरीवाले से बहस करने लगीं। इस बीच उसकी पड़ोसी दीप्ति ने सब्जी विक्रेता से कहा कि नेहा की प्याज खरीदने की हैसियत नहीं इसलिए वह अपना समय बर्बाद ना करे। इसके बाद दीप्ति और नेहा में जबरदस्त गाली-गलौच हो गई और दोनों लड़ाई झगड़े पर उतारू हो गईं।



मामला बढ़ता देख दोनों की तरफ से और लोग भी वहां आ गए जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। मारपीट इस कदर आगे बढ़ गई कि पांच महिलाओं को गंभीर चोटें आ गईं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। 

घटना की जानकारी के बाद पुलिस भी तुरंत मौके पर पहुंची और किसी तरह सभी लोगों को शांत कराया। पुलिस ने इस मामले में दोनों पक्षों के छह लोगों को के खिलाफ केस दर्ज किया है। सभी आरोपियों को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जिन्हें गुरुवार को जमानत मिल गई।

बता दें कि हाल के दिनों में देशभर में प्याज की कीमतों में जबरदस्त बढोत्तरी हुई है। ऐसे में यह लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है। कई राज्य सरकारें सरकारी रेट पर लोगों को प्याज मुहैया करा रही हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भी लोगों को सस्ती कीमतों पर प्याज नहीं मिल पा रहा है।


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अच्छी बारिश के लिए कराया था 'मेंढक-मेंढकी' का विवाह, इतनी हुई बरसात की कराना पड़ गया तलाक !

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13 September 2019


भोपाल। क्या बारिश रोकने के लिए आपने मेंढक-मेंढकी के तलाक के बारे में सुना है? ये अजीबो-गरीब वाकया मध्य प्रदेश का है जहां बारिश से बेहाल लोगों ने मेंढक और मेंढकी का तलाक करवा दिया। कुछ महीने पहले भीषण गर्मी से परेशान लोगों ने इन्द्र देवता को खुश करने के लिए गाजे-बाजे के साथ मेढकों की शादी आयोजित की थी।



मध्य प्रदेश में अच्छी बारिश की मन्नत कर करीब दो महीने पहले राजधानी भोपाल में मिट्टी से बनाए मेंढक और मेंढकी की शादी कराई गई थी। लेकिन अब प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में हो रही भारी बारिश से परेशान होकर इन दोनों का बाकायदा तलाक कराया गया है। 


बता दें कि वर्षा के देवता माने जाने वाले इंद्र को प्रसन्न करने के लिए यहां इंद्रपुरी इलाके में स्थित 'तुरंत महादेव मंदिर' में ओम शिव शक्ति मंडल के सदस्यों ने मेंढक-मेंढकी का विवाह करवाया था और अब तलाक भी उन्होंने ही करवाया है।



ओम शिव शक्ति मंडल के पदाधिकारी सुरेश अग्रवाल ने शुक्रवार को बताया, 'वर्षा के देवता प्रसन्न हो, प्रदेश में अच्छी बारिश आए इसलिए इस साल जुलाई में मिट्टी का एक मेंढक और एक मेंढकी बना कर उनकी शादी तुरंत महादेव मंदिर में कराई थी। शादी के बाद से ही प्रदेश में जमकर बारिश हो रही है। अब लोग इस बारिश से परेशान हो गये हैं।'

अग्रवाल ने कहा, 'कुछ लोगों ने भारी बारिश को रोकने के लिए मेंढक-मेंढकी का तलाक कराने की सलाह दी। जिसके बाद हमने धार्मिक अनुष्ठान और मंत्रोच्चारण के बीच बुधवार को इसी मंदिर में मेंढक-मेंढकी का तलाक करवा दिया। तलाक के बाद पानी में दोनों का विसर्जन कर दिया है।'


दरअसल, लोगों का मानना था कि मेंढक-मेंढकी की शादी से बारिश के देवता प्रसन्न होंगे और प्रदेश में अच्छी बारिश होगी। एमपी में इसके बाद बारिश शुरू हुई तो थमने का नाम नहीं ले रही है। बारिश के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, कई बड़े हाईवे बंद कर दिए गए हैं। अब प्रदेश में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। 


बारिश से बेहाल लोग  एमपी में लगातार हो रही बारिश के कारण जगह-जगह जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। प्रदेश के कई शहरों में हाई अलर्ट जारी किया गया है। नदियों से सटे इलाकों को खाली करवाया जा रहा है। निचली बस्तियों में भी पानी भरने की खबरें लगातार आ रही हैं। 

प्रदेश में बारिश के कारण ऐसे हालात बने हैं कि सामान्य से कहीं अधिक बारिश ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रदेश भर के डैम खोल दिए हैं। 11 सितंबर तक प्रदेश में सामान्य से 26 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। वहीं, मौसम विभाग की मानें तो अभी भी बारिश से राहत नहीं मिलने के आसार नहीं हैं।

5 साल से सिर पर सींग लिए घूम रहा था यह शख्स, ऑपरेशन के बाद मिली मुक्ति !

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सागर। आपने किस्से-कहानियों में सींग वाले इंसान के बारे में सुना होगा। हॉलीवुड फिल्म 'हेलबॉय' में भी एक चरित्र दिखाया गया है, जिसके दो सींग हैं... आज हम ऐसे ही एक शख्स के बारे में आपको बता रहे हैं, जिसके सिर के बीचों-बीच एक सींग निकल आया था। 



एमपी के सागर जिले के रहली के रहने वाले श्यामलाल यादव(74) के सिर के बीचों-बीच 4 इंच से बड़ा सींग निकल आया था। सींग बिल्कुल असली और ठोस था। मेडिकल साइंस में यह दुर्लभ मामला है। पिछले दिनों श्यामलाल का ऑपरेशन किया गया। जिसके बाद उन्हें इस सींग से मुक्ति मिल गई है।


रहली के पटना बुजुर्ग गांव के श्यामलाल यादव बीते 5 साल से सिर पर सींग लेकर घूम रहे थे। वैसे तो उन्हें सींग से कोई खास परेशानी नहीं थी, लेकिन असहज जरूर लगता था। श्यामलाल बताते हैं कि करीब 5 साल पहले उन्हें सिर में जोरदार चोट लग गई थी। उसके कुछ दिनों बाद सींग निकलने लगा था। 


कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ तो श्यामलाल ने बाल काटने वाले स्थानीय नाई से कई दफा सींग को ब्लेड से कटवा दिया, लेकिन सींग बार-बार निकल आता। 


श्यामलाल मेडिकल कॉलेज के अलावा भोपाल और नागपुर के अस्पतालों तक गए और वापस आ गए। उन्हें भरोसे का डॉक्टर नहीं मिल सका और न वे डॉक्टरों की बातों पर भरोसा कर सके। आखिरकार उन्होंने सागर के निजी अस्पताल में डॉ. विशाल गजभिये को समस्या बताई। जहां पिछले दिनों डॉ. गजभिये ने ऑपरेशन कर उन्हें सींग से मुक्ति दिलाई।



माथे की चमड़ी लगाकर की प्लास्टिक सर्जरी  श्यामलाल यादव की सर्जरी करने वाले सीनियर सर्जन डॉ. गजभिये ने बताया कि सींग की लंबाई करीब 4 इंच थी। मोटाई भी पर्याप्त थी। सीटी स्कैन में यह देखा गया कि सींग सिर में कितने अंदर तक था। जब कन्फर्म हो गया कि न्यूरो सर्जन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी तो ऑपरेशन किया गया। सींग को काटने के बाद खाली जगह को बंद करने के लिए माथे के ऊपरी हिस्से की चमड़ी निकालकर प्लास्टिक सर्जरी की गई है। अब दोबारा यह नहीं उभरेगा। 

डॉ. गजभिये के अनुसार यह दुर्लभ केस है। मेडिकल साइंस में इसे सेबेसियस हार्न कहा जाता है। सिर में बालों की ग्रोथ के लिए प्राकृतिक रूप से सेबेसियस ग्लैंड (ग्रंथि) होती है। इससे द्रव्य रिलीज होते हैं। जिससे बाल चमकदार बनते हैं। यह ग्रंथि बंद होने से यह द्रव्य जमता रहा और सींगनुमा आकार में सिर के ऊपर निकल आया।



ये दुर्लभ मामला अध्ययन का विषय है। इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशन के लिए भेज रहा हूं। मेडिकल साइंस के कोर्स में शामिल करने के लिए भी भेज रहे हैं। मेरे जीवन का पहला मामला है। बहुत ही रेयर केस है। सेबेसियस हॉर्न की हिस्ट्री कहीं नहीं मिली। 
-डॉ. विशाल गजभिये, सीनियर सर्जन, सागर


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रानू मंडल को 'लता मंगेशकर' ने दी ऐसी नसीहत कि खुद हो गईं ट्रोल... नाराज हुए फैंस, जानिए क्या कहा था स्वर कोकिला ने !

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05 September 2019


इंटरटेनमेंट डेस्क @ इंडिया खबर। रानू मंडल (Ranu Mondal) की आवाज़ के चर्चे तो आपने भी सुने होंगे। एक वक्त था जब वो गुजर-बसर के लिए रेलवे स्टेशनों में घूम-घूमकर गाना गाती थीं। हर कोई रानू की आवाज़ की तुलना लता मंगेशकर से करता था और इसी आवाज़ के दम पर आज रानू स्टार बन चुकी हैं। 



म्यूजिक डायरेक्टर हिमेश रेशमिया ने उन्हें बतौर प्लेबैक सिंगर बॉलीवुड में लॉन्च भी कर दिया है। रानू मडल को रातों रात मिली शोहरत पर स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने रानू को सलाह देते कहा कि किसी की नकल मत करो, बल्कि ओरिजनल रहो। लता जी का ऐसा कहना शायद लोगों को पसंद नहीं आया है। सोशल मीडिया पर लता मंगेशकर को काफी नेगेटिव कमेंट्स मिल रहे हैं। 




एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा- 'जब लता मंगेशकर अपने पावरफुल दिनों में थीं, तब उन्होंने कई नई फीमेल सिंगर्स का करियर बर्बाद किया था। तो अब वो कैसे किसी को प्रोत्साहन दे सकती हैं'।



वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा- 'मैं रानू मंडल को लेकर आपकी क्रिटिसिज्म वाली राय पर ससम्मान आपके साथ सहमत नही हूं। आपको अपने बयानों को लेकर थोड़ा और विनीत होना चाहिए और रानू मंडल को सपोर्ट करना चाहिए। रानू के पास कुछ भी खोने को नहीं हैं। ऐसे में आपके कमेंट की परवाह कोई नहीं करता। कठोर बोलने के लिए माफ कीजिए'।




इसके अलावा भी लता मंगेशकर को कई तरह के निगेटिव कमेंट्स झेलने पड़ रहे हैं। एक यूजर ने तो यहां तक कह दिया कि उसे लता मंगेशकर से नफरत हो गई है। हालांकि, अभी तक इस मामले पर रानू मंडल की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। रानू की तरफ से लोग सोशल मीडिया पर खुद ही जवाब दिए जा रहे हैं।



दरअसल, एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने रानू मंडल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा- 'अगर मेरे नाम और काम से किसी का भला होता है तो मैं अपने आप को खुशकिस्मत समझती हूं। लेकिन मैं ये भी महसूस करती हूं कि नकल करने से आपको लंबे समय तक सफलता नहीं मिल सकती है'।



लता ने रानू को नसीहत देते हुए कहा, 'ऑरिजिनल रहो, सभी सिंगर्स के एवरग्रीन गाने गाओ लेकिन कुछ समय बाद गायक को अपना गाना ढूंढना चाहिए'। लता मंगेशकर का ये बयान लोगों को रास नहीं आ रहा है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें लेकर काफी निगेटिव बातें कर रहे हैं। 



बता दें कि रानू, हिमेश रेशमिया की फिल्म में एक नहीं बल्कि तीन-तीन गाने रिकॉर्ड कर चुकी हैं। इन गानों की एक झलक हिमेश ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर शेयर की है। रानू के अब तक के सभी गाने लोगों ने बहुत पसंद किए हैं।



रानू लोगों की नजरों में उस वक्त आईं जब उनका एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें वो रेलवे स्टेशन के कोने में बैठी लता मंगेशकर का गाना 'एक प्यार का नगमा' गा रही थीं। बहरहाल, ये रानू की आवाज की ताकत और टैलेंट ही है जिसने उन्हें फर्श से अर्श तक पहुंचा दिया।


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अस्पताल में लगा था ताला, दर्द से तड़पती प्रसूता ने मेन गेट में दिया बच्चे को जन्म

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03 September 2019


कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक गर्भवती महिला की जान पर भारी पड़ सकती थी। पीएचसी में ताला लगा होने के कारण प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला ने अस्पताल के दरवाजे के सामने ही बच्चे को जन्म दे दिया। 


गांव की महिलाओं ने किसी तरह साड़ियों का घेरा बनाकर महिला की डिलीवरी कराई। पूरा मामला चैतमा पीएचसी का है। इधर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गणेश चतुर्थी की छुट्‌टी होने का बहाना कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।  



जानकारी के मुताबिक चैतमा निवासी आनंद पटेल अपनी 25 वर्षीय पत्नी चंद्रकली को लेकर सोमवार सुबह 11 बजे प्रसव कराने पीएचसी पहुंचे थे। वहां ताला लटका मिला होने पर उन्होंने इमरजेंसी नंबर पर फोन किया, लेकिन कॉल तक रिसीव नहीं हुई। 



इसके बाद परिजन ड्यूटी नर्स भावना कैवर्त के घर पहुंचे। उन्होंने दूसरी नर्स खुशबू प्रधान को भेजने की बात कही। इस दौरान प्रसव पीड़ा से तड़प रही चंद्रकली की तकलीफ देख आसपास मौजूद महिलाओं ने दोपहर 12 बजे अस्पताल के ही दरवाजे पर डिलीवरी कराई। 




बताया जाता है कि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में चैतमा सहित आसपास के 15 गांवों के लोग इलाज करवाने और गर्भवती महिलाओं के प्रसव के लिए आते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि डॉक्टर और स्टाफ की मनमर्जी के चलते अक्सर यहां पर ताला लटका रहता है। 



पीएचसी में 24 घंटे ऑल कॉल इमरजेंसी सेवा का नियम है, लेकिन कॉल करने पर भी कोई मिलता नहीं है या फिर कोई कॉल रिसीव ही नहीं करता है। इसके चलते अक्सर महिलाओं को प्रसव कराने 25 किमी दूर कटघोरा जाना पड़ता है।  


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15 हजार की स्कूटी का ट्रैफिक पुलिस ने काटा 23 हजार का चालान... मालिक बोला- इतने की तो गाड़ी भी नहीं!

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नई दिल्ली। देशभर में नए ट्रैफिक नियम लागू होने के बाद इससे जुड़ी कई परेशानियां भी सामने आ रही है। दिल्ली के रहने वाले एक शख्स का गुड़गांव में 23 हजार रुपए का चालान कट गया। ट्रैफिक पुलिस ने इस शख्स की स्कूटी को भी सीज कर लिया है। इस चालान की कॉपी भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। 


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दिल्ली के गीता कॉलोनी निवासी दिनेश मदान ने बताया कि वो सोमवार को गुड़गांव किसी काम से गए थे। जिला अदालत कॉम्पलेक्स के सामने सर्विस रोड पर उन्होंने हेलमेट उतार दिया। वहां पर खड़े पुलिसकर्मियों ने उनसे गाड़ी के कागजात मांगे। कागजात न होने की स्थिति में पुलिस कर्मियों ने 23 हजार रुपए का चालान कर दिया। 

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दिनेश के पास न तो स्कूटी का आरसी बुक था और न हीं ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदूषण सर्टिफिकेट, थर्ड पार्टी बीमा था। पांच नियम तोड़ने पर ट्रैफिक पुलिस ने मोटी रकम का चालान कर दिया। दिनेश ने कहा कि उनकी स्कूटी काफी पुरानी हो गई है। इस वजह से फिलहाल उसकी कीमत 15 हजार रुपए के करीब है। 


गाड़ी को किया सीज

दिनेश ने बताया कि ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने चालान काटने के बाद स्कूटी को सीज कर दिया है। अब गाड़ी को कोर्ट से छुड़ाना होगा। इसके लिए पहले थाने में जाकर केस बनेगा और फिर उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। इसके साथ ही चालान भरने के अलावा जमानत भी देनी होगी। 

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दिनेश ने कहा कि इस घटना के बाद से वो बहुत परेशान हैं। हालांकि, अब वो इस स्कूटी को छुड़ाने के लिए कोर्ट नहीं जाएंगे। 





बता दें कि एक सितंबर से ट्रैफिक चालान की राशि में काफी बढ़ोतरी हो गई है। हालांकि, कई राज्यों में यह नियम सोमवार को लागू नहीं हो पाए थे, क्योंकि सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं हुआ था। अब धीरे-धीरे ज्यादातर राज्यों में यह नियम लागू हो रहे हैं। 

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इधर, एक ट्रैफिक अधिकारी का कहना है कि इससे पब्लिक और पुलिस के बीच झगड़े बढ़ेंगे। अभी लोग मात्र 100 रुपए के चालान के लिए पुलिसकर्मियों से बहस करते हैं। कई बार तो मारपीट पर उतर आते हैं। नए नियम के बाद जुर्माने की राशि बढ़ने के कारण आशंका है ऐसी घटनाएं बढ़ेंगी। चालान से बचने के लिए लोग ट्रैफिक स्टाफ पर गाड़ी तक चढ़ाने से गुरेज नहीं करते। 


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भूत ने उड़ा रखी है रायपुर पुलिस की नींद..! इस गाड़ी में बैठने को तैयार नहीं है कोई भी जवान

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02 September 2019

  
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की पुलिस को भूत ने हलाकान कर रखा है। लोगों का डर दूर भगाने वाली पुलिस खुद भूत-प्रेत से डरी हुई है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि कुछ जवानों का यह दावा है कि पुलिस की एक गाड़ी में भूत-प्रेत का साया है। 



 पुलिसकर्मियों में भूत का खौफ इस कदर समा गया है कि कोई भी जवान इस गाड़ी में बैठने को तैयार नहीं है। पुलिसकर्मी इतने भयभीत हैं कि कोई भी टाइगर-2 (डायल 112) वाहन चलाने के लिए तैयार नहीं है। पुलिसकर्मियों में भूत-प्रेत का ऐसा डर है कि वे अपने साथ नींबू और मिर्च तक लेकर चल रहे हैं।



अफसरों के भय से यदि कोई पुलिसकर्मी वाहन चलाता भी है, तो उसकी रात दहशत में कटती है। ऐसे में जवान अपने साथ गाड़ी में नींबू-मिर्च के अलावा पूजा पाठ की सामाग्री भी साथ में रखते हैं।




इस खबर से हमारा मकसद किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि हम उस हकीकत से आपको रूबरू करा रहे हैं जो इन दिनों रायपुर पुलिस के साथ घटित हो रही है। 




बता दें कि रायपुर में डायल-112 वाहन द्वारा पुलिस हर किसी को मदद पहुंचाने के लिए तत्पर रहती है, लेकिन आजाद चौक थाना क्षेत्र में चलने वाली डायल-112 गाड़ी में भूत के डर से कोई भी पुलिसवाला बैठने से कतराता है। 



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कुछ जवानों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस वाहन में जो भी बैठता है, उसे रात में गाड़ी में किसी अनजान शख्स के होने का आभास होता है। रात गहराने के साथ यह डर और भी बढ़ता जाता है। पुलिसवाले यहां तक बताते हैं कि इस गाड़ी में आरक्षक की रात में अगर आंख लगती है तो भूत बाकायदा उन्‍हें उठा देता है।



इस प्रकार का घटनाक्रम बीते एक-डेढ़ महीने से चल रहा है। बताया जाता है कि अब तक 6-7 पुलिसवालों के साथ ऐसी घटनाएं हो चुकी है जिससे दूसरे जवान भी गाड़ी में बैठने से खौफ खा रहे हैं। 


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छत्तीसगढ़ की इस दिव्यांग बेटी ने किया कमाल, रिले रेस तैराकी में बनाया एशियन रिकॉर्ड... समुद्र में शार्क और डॉल्फिन के बीच से गुजरकर पाया मुकाम

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27 August 2019


रायपुर। कहते हैं अगर कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो तो मुश्किलें भी आसान हो जाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है छत्तीसगढ़ के जांजगीर की बेटी अंजली पटेल ने। पैरों से दिव्यांग अंजलि ने रिले रेस तैराकी में एशियन रिकॉर्ड बनाकर लाखों दिव्यागों के लिए नजीर पेश की है। 


अंजली ने समुद्र की लहरों को भेदकर शार्क और डॉल्फिन के बीच से गुजरकर यह मुकाम हासिल किया। देश भर के छह पैरा तैराकों की इस टीम ने 35 किलोमीटर की दूरी 11 घंटे 46 मिनट 56 सेकंड में तैर कर पूरी की। अंजली ने इसमें शामिल होने के लिए पांच लाख रूपए उधार लिए थे।



यूएसए कैटलीना आइलैंड से रात 11 बजे रिले रेस का आगाज हुआ। अंजली ने बताया कि उस समय काफी ठंड थी, मगर सभी के हौसले इतने बुलंद थे कि हर मुसीबत को भेदने के लिए तैयार थे। 



एक ओर जहां समुद्र की लहरें बार-बार डुबा रही थीं, वहीं दूसरी ओर शार्क और डॉल्फिन का डर बना हुआ था। हार न मानने की जिद और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाकर 19 अगस्त को सुबह 10.30 बजे 35 किलोमीटर का सफर पूरा कर मेनलैंड में रिले रेस खत्म हुई।



अंजली ने बताया कि प्रत्येक तैराक को दो-दो घंटे समुद्र में तैरना था। दो घंटे में तीन किलोमीटर का सफर तय करना था। एक के थकने के बाद दूसरे को उतारा जाता था। अंजली तीसरे नंबर पर उतरीं और दो घंटे में तीन किलोमीटर का सफर पूरा किया।



बस कंडक्टर की बेटी ने छू लिया आसमान  बता दें कि अंजली की आर्थिक हालात ठीक नहीं है। पिता बस कंडक्टर थे। जब अंजली ने बिलासपुर में नौकरी शुरू की तो पिता को कंडक्टरी करने से रोक दिया। अंजली की कुल पांच बहन और एक भाई है। सभी की जिम्मेदारी अंजली ही उठा रही हैं।



अंजली की टीम में राजस्थान के जगदीश चंद्र तेली, मध्यप्रदेश के शैलेंद्र सिंह, पश्चिम बंगाल के रिमु शाहा और महाराष्ट्र की गीतांजलि शामिल थे। अंजली ने बताया कि रिकॉर्ड बनाने के पूर्व एक महीने का कैंप पुणे में आयोजित किया गया, जिसमें कोच रोहन गोरे ने सभी को तैयार किया।


बुमराह ने किया वो कारनामा जो कपिल, अकरम-वकार जैसे दिग्गज भी नहीं कर पाए

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26 August 2019


स्पोर्ट्स डेस्क @ इंडिया खबर। जसप्रीत बुमराह ने अपनी कमाल की गेंदबाजी से फैंस के लिए सुपर संडे बना दिया। उन्‍होंने भारत-वेस्‍टइंडीज के बीच एंटीगा टेस्‍ट के चौथे दिन खतरनाक गेंदबाजी स्‍पेल डाला और एक अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। 



बुमराह ने वेस्‍टइंडीज के बल्‍लेबाजी क्रम की धज्जियां उड़ाते हुए 8 ओवर में 4 मेडन सहित केवल 7 रन देकर 5 विकेट झटके। भारतीय तेज गेंदबाज ने टेस्‍ट में चौथी बार एक पारी में पांच विकेट लेने का कमाल किया और इसकी मदद से 'विराट सेना' ने विदेश में सबसे बड़ी टेस्‍ट जीत हासिल की।



भारतीय टीम ने वेस्‍टइंडीज को पहले टेस्‍ट में 318 रन के विशाल अंतर से मात देकर दो मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त बनाई। सीरीज का दूसरा टेस्‍ट 30 अगस्‍त से किंग्‍सटन में खेला जाएगा।



जसप्रीत बुमराह ने रविवार को एक ऐसा कारनामा किया, जो दिग्‍गज गेंदबाज वसीम अकरम, कपिल देव, वकार यूनिस, हरभजन सिंह और अनिल कुंबले भी नहीं कर सके। बुमराह ने अब तक जितने भी विदेशी दौरे किए, उसमें एक पारी में पांच विकेट लेने का कमाल किया। हाल ही में बुमराह ने सबसे तेज 50 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी बनाया था। 




2018 में टेस्‍ट डेब्‍यू करने वाले बुमराह चार देशों (ऑस्‍ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्‍लैंड और वेस्‍टइंडीज) में पहली बार दौरा करने गए और एक पारी में पांच विकेट लेने का कमाल किया। बुमराह ऐसा कारनामा करने वाले भारत के पहले तेज गेंदबाज हैं। 



जसप्रीत बुमराह अब तक सभी विदेशी दौरों पर टेस्‍ट की एक पारी में पांच विकेट लेने वाले भारतीय तेज गेंदबाज बन गए हैं। यही नहीं, बुमराह एशिया के भी पहले गेंदबाज बने, जिन्‍होंने इन चारों देशों में टेस्‍ट की एक पारी में पांच विकेट लेने का कमाल किया। 



महान तेज गेंदबाज वसीम अकरम, वकार यूनिस, कपिल देव, हरभजन सिंह, अनिल कुंबले और मुथैया मुरलीधरन भी बुमराह जैसा कमाल नहीं कर सके। बुमराह ने सिर्फ 11 टेस्‍ट में ही यह अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम किया। 


सालभर में बीजेपी ने खोए कई नायाब 'हीरे'... इन दिग्गज नेताओं को पार्टी ने खो दिया, कमी हमेशा खलेगी

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24 August 2019


नई दिल्ली। पिछले एक साल में बीजेपी ने अपने कई दिग्गज नेताओं को खो दिया है। बीते साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद बीजेपी ने कई 'हीरे' गंवाए हैं। 




  • बीजेपी सत्ता के शिखर पर है लेकिन पिछला एक साल पार्टी के लिए बेहद नुकसानदेह रहा। 
  • इस एक साल में बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं का निधन हो गया।
  • अगस्त 2018 में वाजपेयी के निधन के बाद अनंत कुमार और मनोहर पर्रिकर का निधन हुआ।
  • कुछ दिन पहले ही सुषमा स्वराज का निधन हुआ और अब अरुण जेटली भी दुनिया छोड़कर चले गए।

ये ऐसे नेता रहे हैं जो देश में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अपनी विशेष पहचान रखते थे और जिन्होंने देश के बड़े ओहदों पर रहते हुए खास जिम्मेदारियों का निर्वाह किया। शनिवार को पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का भी निधन हो गया। इस पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि एक साल में हमने कई नेताओं को खो दिया है। 


  • अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसंबर 1924 से 16 दिसंबर 2018) 
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी साल 2018 में 16 अगस्त को दुनिया छोड़कर चले गए। वाजपेयी लंबे समय से बीमार थे। 2004 में चुनाव हारने के बाद वाजपेयी ने राजनीति से संन्यास ले लिया था और उसके बाद वह कभी भी सार्वजनिक जीवन में नहीं आए। 

2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। अटल बीजेपी के संस्थापकों में शामिल थे और तीन बार प्रधानमंत्री बने। हालांकि वह एक बार ही 5 साल का कार्यकाल पूरा कर सके। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। 





  • अनंत कुमार (22 जुलाई 1959 से 12 नवंबर 2018) 
बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे दिग्गज नेता अनंत कुमार का 12 नवंबर 2018 को 59 वर्ष की आयु में हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे। वे मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री थे। 1996 से वह दक्षिणी बेंगलुरु की सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। वह कर्नाटक की बात करने में हमेशा अग्रणी रहते थे। 





  • मनोहर पर्रिकर (13 दिसंबर 1955 से 17 मार्च 2019) 
रक्षा मंत्री के रूप में देश की अहम जिम्मेदारी संभालने वाले मनोहर पर्रिकर का 63 वर्ष की आयु में 17 मार्च को निधन हो गया। वह भी लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। खराब स्वास्थ्य के दौरान भी वह गोवा के मुख्यमंत्री थे। उन्हें विशेष मांग पर गोवा का मुख्यमंत्री बनाया गया था। 

मनोहर पर्रिकर इससे पहले केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री थे। उनके इस पद पर रहते हुए ही भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। पर्रिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। रक्षा मंत्री के कार्यकाल के दौरान वह राज्यसभा से सांसद थे। 




  • सुषमा स्वराज (14 फरवरी 1952 से 6 अगस्त 2019) 
बीजेपी की वरिष्ठ नेता और प्रखर वक्ता सुषमा स्वराज का कुछ दिन पहले ही अचानक निधन हो गया। स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते उन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ा था। वाजपेयी सरकार में वह सूचना प्रसारण मंत्री थीं और मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने पूरी दुनिया में एक उदाहरण प्रस्तुत किया। मात्र 25 साल की उम्र में वह राजनीति में आ गई थीं। 



  • अरुण जेटली (28 दिसंबर 1952 से 24 अगस्त 2019) 
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का 24 अगस्त को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे और कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। पिछले दिनों उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट भी करवाया था। उनका जीवन उपलब्धियों से भरा था और बतौर वित्त मंत्री उन्होंने कई सुधार करते हुए अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई दी। 

जेटली 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद जेल में इनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज नेताओं से हुई और उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ। अटल सरकार में वह कानून मंत्री भी रहे। 




दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों व सीएम का निधन  यह मजह इत्तेफाक है कि इस साल अगस्त महीने में ही दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों (सुषमा स्वराज और अरुण जेटली) का निधन हुआ, जबकि एमपी के पूर्व सीएम बाबूलाल गौर का निधन भी अगस्त महीने में ही हुआ। वहीं, बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्रा का निधन 19 अगस्त को दिल्ली के द्वारका में हुआ था। 

बैंगलोर मे आयोजित 'कौन बनेगा सुपर स्टार' में छत्तीसगढ़ की प्रतिभाओं ने मचाया धमाल

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23 August 2019


सुकमा। माहेश्वरी समाज द्वारा आयोजित प्रतिभा का महासंग्राम 'कौन बनेगा सुपर स्टार' का सातंवा सीजन बैंगलोर में आयोजन किया गया। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जगहों से 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया। 




बता दें कि बैंगलौर में आयोजित इस आयोजन में देशभर से 300 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। प्रदेश युवा संगठन के अध्यक्ष राजेश मंत्री ने बताया कि कुछ दिन पहले भाटापारा में प्रदेश स्तरीय आयोजन हुआ था। जिसमें मिस एंड मिस्टर माहेश्वरी, डांसिंग सुपर स्टार (एकल व ग्रुप) सिंगिग सुपर स्टार, वाद्य यंत्र बजाने वालों के लिए म्यूजिकल सुपर स्टार का आयोजन हुआ।




इसमें विजयी 20 प्रतिभागियों ने बैंगलौर में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत कर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। बेहतरीन प्रदर्शन करते कुछ प्रतिभागी सेमीफाईनल राउंड तक भी पहुंचे थे। 




समाज के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंत्री संदीप करकानी ने बताया कि पहली बार इतने हाईटैक तकनीक का उपयोग किया गया। वहीं सभी प्रतिभागियों ने एक से बढ़कर एक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। 




हुनरमंदों को और निखारेगा युवा फाउंडेंशन   अखिल भारतीय माहेश्वरी युवा संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण सोमानी ने कहा कि 'कौन बनेगा सुपर स्टार' सीजन—7 के हुरनमंदों को और निखारने का काम राष्ट्रीय स्तर पर होगा। इसकी जिम्मेदारी माहेश्वरी समाज युवा संगठन की ट्रस्ट बसंती लाल मनोरमा देवी काल्या अखिल भारतीयवर्षीय माहेश्वरी युवा फाउंडेंशन ने लिया है। 




भारत को परमाणु हमले की धमकी देने वाले पाकिस्तान के मंत्री की लंदन में हुई कुटाई... पड़े अंडे, चले घूंसे !

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लंदन @ एजेंसी। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद भारत को परमाणु हमले की धमकी देने वाले आवामी मुस्लिम लीग के प्रमुख और पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद पर लंदन में अंडे फेंके गए। इतना ही नहीं उनकी वहीं पर जमकर कुटाई भी हुई। हमलावर हमला करने के बाद मौके से फरार हो गए। 


आपको बता दें कि रशीद अक्सर अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने भारत को परमाणु हमले की धमकी दी थी। 



पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद लंदन के एक होटल में पुरस्कार समारोह से बाहर निकल रहे थे, तभी उनपर ये हमला हुआ। बताया जा रहा है कि हमलावर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से जुड़े थे, और पीपीपी प्रमुख बिलावल के खिलाफ अपशब्द बोलने को लेकर शेख रशीद के बयान से नाराज थे।



बता दें कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के यूथ ऑर्गनाइजेशन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। 




पीपीपी यूथ ऑर्गनाइजेशन यूरोप के अध्यक्ष आसिफ अली खान और पार्टी की महिला शाखा की अध्यक्ष समाह नाज ने एक बयान जारी कहा कि रशीद ने पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया था, जिसके विरोध में उन्होंने यह कदम उठाया।



बिहार के 3 बार सीएम रहे जगन्नाथ मिश्रा के अंतिम संस्कार में बनी अजीब स्थिति... गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान 22 बंदूकों से नहीं चली एक भी गोली

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21 August 2019


पटना। बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र का बुधवार को सुपौल में अंतिम संस्कार किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी और विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी सहित अन्य नेताओं की मौजूदगी में श्रद्धांजलि दी गई। 




राजकीय सम्मान के साथ हो रहे अंतिम संस्कार के वक्त जब मिश्रा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था, तब अजीब स्थिति बन गई। 22 जवानों ने थ्री नॉट थ्री राइफल से हवाई फायर की कोशिश की, तो एक भी बंदूक नहीं चली। ये पूरा वाक्या सीएम नीतीश कुमार के आंखों के सामने हुआ। 



इस वाकये ने प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। पूर्व सीएम के अंतिम संस्कार में विभिन्न पार्टी के नेता और आसपास के गणमाण्य लोग पहुंचे थे। दिवंगत नेता के बड़े बेटे संजीव कुमार ने उन्हें मुखाग्नि दी।





गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान जब पहली बार गोली नहीं चली तो जवानों ने अपनी बंदूकों और गोलियां की जांच की। वहां मौजूद अधिकारियों ने भी इन्हें जांचा। जवानों ने जब दोबारा फायर किया तो भी गोली नहीं चली। इसके बाद बिना फायर किए ही मिश्रा का अंतिम संस्कार किया। 





बता दें कि 82 वर्षीय डॉ. मिश्रा का 19 अगस्त को दिल्ली में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन पर सीएम नीतीश कुमार ने राज्य में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की थी। जगन्नाथ मिश्रा तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। 1990 के दशक के मध्य में उन्होंने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में भी जिम्मेदारी संभाली।

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सर्पदंश पीड़ित ग्रामीण की CRPF जवानों ने बचाई जान, कंधों पर उठाकर एम्बुलेंस तक पहुंचाया

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18 August 2019


बीजापुर। जहां एक और सीआरपीएफ के जवान नक्सलियों का बेबाकी से सामना कर उन्हें खदेड़ रहे हैं, वही एक दूसरी ओर मानवता का परिचय भी दे रहे है। 



ऐसा ही एक वाक्या शनिवार को नजर आया जब सीआरपीएफ 168 बटालियन और 229 बटालियन की संयुक्त टीम नक्सल प्रभावित रायुगुड़ा, पुसकुंता और बहेगुड़ा इलाके में एरिया डोमिनेशन के लिए निकली थी। सर्चिंग के दौरान जवानों की नजर ग्रामीणों पर पड़ी। जब उन्होंने ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि पुसकुंता के एक ग्रामीण को जहरीले सांप ने कांट लिया है।



सर्पदंश से पीड़ित ग्रामीण का देसी इलाज कर रहे हैं। लेकिन दो महीने पहले इसकी पत्नी को जहरीले सर्प ने कांट लिया था जिसका हमने देशी इलाज किया था लेकिन उसकी जान चली गयी थी। इसके बाद हम इसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाना चाहते है लेकिन रास्ता खराब होने से हमें अस्पताल तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है। 

इतना सुनते ही जवानों ने आवापल्ली पीएचसी के एम्बुलेंस चालक से बात की लेकिन भारी बारिश की वजह से इस रास्ते में एम्बुलेंस नहीं पहुंचने की बात चालक ने जवानों से कही। तब जवानों ने ग्रामीण को खाट पर लेटाया और अपने कंधे पर लादकर 2.5 किमी पैदल चलकर एम्बुलेंस तक पहुंचाया तब जाकर ग्रामीण की जान बच पाई। 
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