नई दिल्ली। पिछले एक साल में बीजेपी ने अपने कई दिग्गज नेताओं को खो दिया है। बीते साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद बीजेपी ने कई 'हीरे' गंवाए हैं।
- बीजेपी सत्ता के शिखर पर है लेकिन पिछला एक साल पार्टी के लिए बेहद नुकसानदेह रहा।
- इस एक साल में बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं का निधन हो गया।
- अगस्त 2018 में वाजपेयी के निधन के बाद अनंत कुमार और मनोहर पर्रिकर का निधन हुआ।
- कुछ दिन पहले ही सुषमा स्वराज का निधन हुआ और अब अरुण जेटली भी दुनिया छोड़कर चले गए।
ये ऐसे नेता रहे हैं जो देश में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अपनी विशेष पहचान रखते थे और जिन्होंने देश के बड़े ओहदों पर रहते हुए खास जिम्मेदारियों का निर्वाह किया। शनिवार को पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का भी निधन हो गया। इस पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि एक साल में हमने कई नेताओं को खो दिया है।
- अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसंबर 1924 से 16 दिसंबर 2018)
2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। अटल बीजेपी के संस्थापकों में शामिल थे और तीन बार प्रधानमंत्री बने। हालांकि वह एक बार ही 5 साल का कार्यकाल पूरा कर सके। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
- अनंत कुमार (22 जुलाई 1959 से 12 नवंबर 2018)
- मनोहर पर्रिकर (13 दिसंबर 1955 से 17 मार्च 2019)
मनोहर पर्रिकर इससे पहले केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री थे। उनके इस पद पर रहते हुए ही भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। पर्रिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। रक्षा मंत्री के कार्यकाल के दौरान वह राज्यसभा से सांसद थे।
- सुषमा स्वराज (14 फरवरी 1952 से 6 अगस्त 2019)
- अरुण जेटली (28 दिसंबर 1952 से 24 अगस्त 2019)
जेटली 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद जेल में इनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज नेताओं से हुई और उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ। अटल सरकार में वह कानून मंत्री भी रहे।
दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों व सीएम का निधन यह मजह इत्तेफाक है कि इस साल अगस्त महीने में ही दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों (सुषमा स्वराज और अरुण जेटली) का निधन हुआ, जबकि एमपी के पूर्व सीएम बाबूलाल गौर का निधन भी अगस्त महीने में ही हुआ। वहीं, बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्रा का निधन 19 अगस्त को दिल्ली के द्वारका में हुआ था।