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कृष्ण जन्माष्टमी पर 14 साल बाद बने एक साथ तीन संयोग... धूमधाम से मनाया गया पर्व, देखिए तस्वीरें...

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24 August 2019


भोपालपटनम। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर शुक्रवार की रात शिव मंदिर में भजन कीर्तन का कार्यक्रम रखा गया था। एक दिन पहले से ही जन्माष्टमी की गूंज नगर में दिखाई दे रही थी कल जन्माष्टमी व्रत रखा गया था व आज कृष्णाष्टमी का व्रत है। इस वर्ष की जन्माष्टमी में 14 वर्षों के बाद तीन संयोग एक साथ बने है। 




भगवान कृष्‍ण का जन्‍म भाद्र मास की अष्‍टमी तिथि को अर्द्धरात्रि में हुआ था। भगवान के जन्‍म की खुशियां मनाने के लिए युवा और बच्‍चे गोविंदा बनकर जन्‍माष्‍टमी के दिन दही हांडी का आयोजन करते हैं। 

नगर में जगह-जगह चौराहों पर दही और मक्‍खन से भरी मटकियां लटकाई गईऔर गोविंदाओं द्वारा एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर इसे तोड़ा गया है। पहली मटकी शिवमंदिर के सामने फोड़ी गई। रिमझिम बारिश व डीजे की धुन पर थिरकते हुए पुरे नगर में घूम-घूमकर गोविंदाओं ने दही मटके फोड़े हैं। 








भगवान कृष्ण को बचपन से प्रिय था माखन  बचपन में भगवान कृष्‍ण को दही और मक्‍खन अतिप्रिय था। वह अक्‍सर गोपियों की मटकियों से माखन चुराकर खाया करते थे। गोपियां उनसे परेशान होकर यशोदा मैय्या से उनकी शिकायत किया करती थीं। यशोदा मैय्या अपने कान्‍हा को समझाती-बुझाती, लेकिन उन पर कोई असर नहीं होता था।




गोपियां कन्‍हैया से अपना दही मक्‍खन बचाने के लिए मटकियों और हांडियों को ऊंचाई पर टांग देती थीं। लेकिन कान्‍हाजी चतुराई से दोस्‍तों के ऊपर चढ़कर मटकी में से दही और मक्‍खन चुरा लेते थे। कई बार वह शरारत में दही से भरी मटकियां फोड़ भी देते थे। कृष्‍ण की इन नटखट शरारत से भरी बाल लीलाओं को याद करते हुए दही हांडी का उत्‍सव मनाया जाता है।


ईद-उल-अजहा पर मांगी गई मुल्क की तरक्की व अमन की दुआ...जानिए क्या होती है कुर्बानी

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12 August 2019


रशीद अहमद खान @ भोपालपटनम। ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मौके पर नगर की जामा मस्जिद में नमाज अदा कर पूरे मुल्क में अमन और चैन की दुआएं मांगी गई। 




जामा मस्जिद के इमाम हाफिज इलियास अंसारी ने ईद की नमाज से पहले पूरी जमात को कुर्बानी और ईद-उल-अजहा के बारे में तफसील से बताया। बारिश के कारण ईदगाह के बजाय जामा मस्जिद में सुबह तय वक्त 8.30 बजे नमाज अदा की। 

बाद नमाज सभी मुस्लिम भाईयों ने कब्रिस्तान जाकर मरहुम रिश्तेदारों के लिए दुआए मांगी। इसके बाद साहिबे निसाब लोगों ने अल्लाह के रास्ते में जानवरों की कुर्बानियां कीं। कुर्बानी के बाद शुरू हुआ ईद की मुबारकबाद एक-दूसरे को देने का सिलसिला पूरे दिन भर चलता रहता है। 

मुस्लिम भाई कुर्बानी देने के बाद जानवर के गोश्त को तीन भाग में बांटते हैं। पहला हिस्सा गरीबों को ‌तकसीम बांटा किया (बांटा) जाता है। वहीं दूसरा  हिस्सा रिश्तेदारों और करीबी लोगों के लिए जबकि तीसरा हिस्सा अपने लिए रखा जाता है।


ईद-उल-अज़हा (बकरीद) के मायने  ईद-उल-अज़हा (बकरीद), अरबी भाषा में जिसका मतलब क़ुरबानी की ईद। इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। 

इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। 



इस शब्द का बकरों से कोई संबंध नहीं है। न ही यह उर्दू का शब्द है। असल में अरबी में 'बक़र' का अर्थ है बड़ा जानवर जो जि़बह किया (काटा) जाता है। उसी से बिगड़कर आज भारत, पाकिस्तान व बांग्ला देश में इसे 'बकरा ईद' बोलते हैं। 

वहीं ईद-ए-कुर्बां का मतलब है बलिदान की भावना। अरबी में 'क़र्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं। मतलब इस मौके पर अल्लाह इंसान के बहुत करीब हो जाता है। कुर्बानी उस पशु के जि़बह करने को कहते हैं जि़लहिज्ज (हज का महीना) में खुदा को खुश करने के लिए ज़िबह किया जाता है। 

गुड फ्राइडेः सलीब लिए मसीहियों ने निकाली मातमी रैली, गिरिजाघरों में हुई विशेष प्रार्थना सभाएं...'प्रेम' और 'क्षमा' पर धर्मगुरूओं का फोकस

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19 April 2019


बीजापुर। यहां शुभ शुक्रवार को मसीहियों ने नगर के मुख्य मार्ग में क्रूस लेकर मातमी जुलूस निकाला और ईसा मसीह का संदेश दिया। नगर के सभी गिरिजाघरों में गुड फ्राइडे को विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन हुआ। 



गुड फ्राइडे की दोपहर सभी कलिसियाओं के लोगों ने रैली निकाली। ये रैली अप्राता कलेक्टोरेट के समीप मेथोडिस्ट चर्च से निकली। इस दौरान गीतों के जरिए यीशु मसीह के संदेश को ईसाइयों ने लोगों तक पहुंचाया। ये रैली मुख्य मार्ग से होते गंगालूर रोड की ओर बढ़ी जहां केथोलिक चर्च में रैली का समापन हुआ। कैथोलिक चर्च में प्रार्थना सभा हुई। 




इस अवसर पर फादर साजू सीएमआई ने यीशु मसीह के जीवन की जानकारी देते प्रेम और क्षमा पर अपने प्रवचन का सार रखा। उन्होंने कहा कि यदि कोई आपसे दुर्व्यवहार करता है तो उसे क्षमा करें और प्रेम के जीवन में बढ़ते जाएं। 

रैली में पास्टर कमलू तेलम, साजू सीएमआई, थाॅमस पैथोटी, सुदर्शन कश्यप, रमेश नाग, जयवंत पाॅल, डेविड कुमार, डी जर्मयाह, जोशुआ राव, प्रसाद पाॅल, अर्जुन वेणजे, शंकर पुजारी, सामनाथ उरसा, चंद्रू लेकाम, लक्ष्मैया गुड्डू, कृष्णा कोरसा एवं अन्य धर्मगुरू मौजूद थे। 



रैली में कैथोलिक चर्च, मेथोडिस्ट चर्च, पेंतीकाॅस्टल चर्च, फिलाडेल्फिया चर्च एवं अन्य कलिसियाओं के लोगों ने हिस्सा लिया। 
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