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छत्तीसगढ़ की 44 नगर पालिकाओं के लिए आरक्षण तय, जानिए किस पालिका में किसे मिला आरक्षण

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18 September 2019


रायपुर। छत्तीसगढ़ के 13 नगर निगमों के अलावा 44 नगर पालिकाओं के अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए भी आरक्षण तय कर दिया गया है। इसमें अनुसूचित जाति के लिए छह, अनुसूचित जनजाति  के लिए पांच और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 11 नगर पालिका आरक्षित रखे गए हैं, वहीं 21 नगर पालिका में अध्यक्ष का पद अनारक्षित हैं




अनारक्षित नगर पालिकाओं में किरंदुल, सुकमा, कांकेर, कवर्धा, जामुल, कुम्हारी, दल्लीराजहरा, बालोद, बेमेतरा, महासमुंद, तिल्दा-नेवरा, गोबरा नवापारा, गरियाबंद, बलौदा बाजार, खरसिया, चांपा, सक्ती, कटघोरा, सूरजपुर, मनेंद्रगढ़ और बैकुंठपुर शामिल हैं, इसमें खरसिया, कांकेर, बेमेतरा, सक्ती, बैकुंठपुर और तिल्दा-नेवरा महिला के लिए आरक्षित रखा गया है।


अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नगर पालिकाओं में बागबहरा, सारंगगढ़ शामिल हैं। इनमें से बागबहरा और सारंगगढ़ को महिला के लिए आरक्षित रखा गया है।


अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित नगर पालिकाओं में नारायणपुर और दंतेवाड़ा नगरपालिका को महिला के लिए आरक्षित रखे गए हैं। वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए बड़े बचेली (महिला), कोंडागांव (महिला), खैरागढ़, आरंग, तखतपुर, शिवपुर चरचा,  सरायपाली, भाटापारा महिला, अहिवारा, दीपिका (महिला) के लिए आरक्षित है।

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गृह मंत्रालय ने जारी की NRC की अंतिम सूची, असम में 19 लाख लोग हुए 'विदेशी'....राज्य में धारा 144 लागू

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31 August 2019


नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित कर दी है। इसे आप nrcassam.nic.in पर क्लिक करके देख सकते हैं। तीन करोड़ 11 लाख 21 हजार चार लोगों के नाम एनआरसी सूची में शामिल हैं। वहीं 19 लाख 6 हजार 657 लोगों के नाम सूची में शामिल नहीं हैं। 


बता दें कि असम में नागरिकता पहचान का काम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ है। सूची को लेकर लाखों लोगों के दिल की धड़कन अपने भविष्य को लेकर बढ़ी हुई हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने सूची में नाम नहीं आने पर लोगों को भयभीत न होने और हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया है। 




असम के कई संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू की गई है और राज्य में सुरक्षाबलों की 218 कंपनियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।



एनआरसी के स्टेट कोऑर्डिनेटर, प्रतीक हजेला ने कहा, 'अंतिम एनआरसी में शामिल होने के लिए कुल 3,11,21,004 व्यक्ति पात्र पाए गए। वहीं 19,06,657 लोगों के नाम सूची में शामिल नहीं हैं। इनमें वह लोग भी शामिल हैं जिन्होंने अपने दावे प्रस्तुत नहीं किए। जो लोग इस परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं वे विदेशी ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं।'

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के 13 बड़े हॉस्पिटल हुए ब्लैक लिस्ट, भूपेश सरकार की बड़ी कार्रवाई… देखिए अस्पतालों की पूरी लिस्ट


NRC सेवा केंद्र के बाहर जमा हुई भीड़  असम के बारापेटा में एनआरसी सेवा केंद्र के बाहर लोगों की लाइनें लगीं हुई हैं। लोग यहां पर अपना नाम एनआरसी की अंतिम सूची में देखने के लिए पहुंचे हैं। इधर, कांग्रेस असम में जारी हुई एनआरसी की अंतिम सूची को लेकर जल्द ही 10 जनपथ पर बैठक करने वाली है।

भाजपा की दिल्ली ईकाई के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा, 'एनआरसी को दिल्ली में भी लागू करना चाहिए क्योंकि यहां स्थिति गंभीर है। यहां बसे हुए अवैध प्रवासी सबसे ज्यादा खतरनाक हैं। हम यहां भी एनआरसी को लागू करेंगे।'



अफवाह फैलाने वालों पर होगी कार्रवाई

असम के डीजीपी कुलाधर सैकिया ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति माहौल बिगाड़ने या अफवाह फैलाने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि एनआरसी को अपडेट करने का काम काफी समय से चल रहा है और कई तरह की चुनौतियों के बीच पुलिस व्यवस्था बनाने में कामयाब रही है।




विदेशी न्यायाधिकरणों में कर सकते हैं अपील   एनआरसी की अंतिम सूची में नाम शामिल न होने वाले लोग विदेशी न्यायाधिकरणों में अपील कर सकते हैं। राज्य सरकार ऐसे 400 विदेशी न्यायाधिकरणों को स्थापित करेगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण के अनुसार 200 न्यायाधिकरणों की स्थापना पहले से ही की जा रही है। एनआरसी से बाहर रखे गए लोग अर्ध न्यायिक अदालतों में भी अपील कर सकते हैं।

आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने साल 2013 में एनआरसी अपडेट करने का आदेश दिया था। जिससे कि बोनाफाइड नागरिकों की पहचान की जा सके और अवैध अप्रवासियों को बाहर निकाला जा सके। मगर इसपर असल काम फरवरी 2015 से शुरू हुआ था।


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सालभर में बीजेपी ने खोए कई नायाब 'हीरे'... इन दिग्गज नेताओं को पार्टी ने खो दिया, कमी हमेशा खलेगी

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24 August 2019


नई दिल्ली। पिछले एक साल में बीजेपी ने अपने कई दिग्गज नेताओं को खो दिया है। बीते साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद बीजेपी ने कई 'हीरे' गंवाए हैं। 




  • बीजेपी सत्ता के शिखर पर है लेकिन पिछला एक साल पार्टी के लिए बेहद नुकसानदेह रहा। 
  • इस एक साल में बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं का निधन हो गया।
  • अगस्त 2018 में वाजपेयी के निधन के बाद अनंत कुमार और मनोहर पर्रिकर का निधन हुआ।
  • कुछ दिन पहले ही सुषमा स्वराज का निधन हुआ और अब अरुण जेटली भी दुनिया छोड़कर चले गए।

ये ऐसे नेता रहे हैं जो देश में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अपनी विशेष पहचान रखते थे और जिन्होंने देश के बड़े ओहदों पर रहते हुए खास जिम्मेदारियों का निर्वाह किया। शनिवार को पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का भी निधन हो गया। इस पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि एक साल में हमने कई नेताओं को खो दिया है। 


  • अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसंबर 1924 से 16 दिसंबर 2018) 
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी साल 2018 में 16 अगस्त को दुनिया छोड़कर चले गए। वाजपेयी लंबे समय से बीमार थे। 2004 में चुनाव हारने के बाद वाजपेयी ने राजनीति से संन्यास ले लिया था और उसके बाद वह कभी भी सार्वजनिक जीवन में नहीं आए। 

2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। अटल बीजेपी के संस्थापकों में शामिल थे और तीन बार प्रधानमंत्री बने। हालांकि वह एक बार ही 5 साल का कार्यकाल पूरा कर सके। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। 





  • अनंत कुमार (22 जुलाई 1959 से 12 नवंबर 2018) 
बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे दिग्गज नेता अनंत कुमार का 12 नवंबर 2018 को 59 वर्ष की आयु में हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे। वे मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री थे। 1996 से वह दक्षिणी बेंगलुरु की सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। वह कर्नाटक की बात करने में हमेशा अग्रणी रहते थे। 





  • मनोहर पर्रिकर (13 दिसंबर 1955 से 17 मार्च 2019) 
रक्षा मंत्री के रूप में देश की अहम जिम्मेदारी संभालने वाले मनोहर पर्रिकर का 63 वर्ष की आयु में 17 मार्च को निधन हो गया। वह भी लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। खराब स्वास्थ्य के दौरान भी वह गोवा के मुख्यमंत्री थे। उन्हें विशेष मांग पर गोवा का मुख्यमंत्री बनाया गया था। 

मनोहर पर्रिकर इससे पहले केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री थे। उनके इस पद पर रहते हुए ही भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। पर्रिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। रक्षा मंत्री के कार्यकाल के दौरान वह राज्यसभा से सांसद थे। 




  • सुषमा स्वराज (14 फरवरी 1952 से 6 अगस्त 2019) 
बीजेपी की वरिष्ठ नेता और प्रखर वक्ता सुषमा स्वराज का कुछ दिन पहले ही अचानक निधन हो गया। स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते उन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ा था। वाजपेयी सरकार में वह सूचना प्रसारण मंत्री थीं और मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने पूरी दुनिया में एक उदाहरण प्रस्तुत किया। मात्र 25 साल की उम्र में वह राजनीति में आ गई थीं। 



  • अरुण जेटली (28 दिसंबर 1952 से 24 अगस्त 2019) 
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का 24 अगस्त को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे और कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। पिछले दिनों उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट भी करवाया था। उनका जीवन उपलब्धियों से भरा था और बतौर वित्त मंत्री उन्होंने कई सुधार करते हुए अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई दी। 

जेटली 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद जेल में इनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज नेताओं से हुई और उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ। अटल सरकार में वह कानून मंत्री भी रहे। 




दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों व सीएम का निधन  यह मजह इत्तेफाक है कि इस साल अगस्त महीने में ही दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों (सुषमा स्वराज और अरुण जेटली) का निधन हुआ, जबकि एमपी के पूर्व सीएम बाबूलाल गौर का निधन भी अगस्त महीने में ही हुआ। वहीं, बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्रा का निधन 19 अगस्त को दिल्ली के द्वारका में हुआ था। 

पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार... ईडी ने जारी किया लुकआउट नोटिस, आज फिर घर पहुंची सीबीआई की टीम

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21 August 2019


नई दिल्ली @ एजेंसी। आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत की याचिका खारिज होने के बाद पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से भी फिलहाल राहत नहीं मिली है। जस्टिस रमन्ना ने केस चीफ जस्टिस की कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। 




चिदंबरम मामले में कब सुनवाई शुरू होगी इसका वक्त अभी तय नहीं है। इसी बीच चिदंबरम पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। सीबीआई की एक टीम चिदंबरम के घर पर मौजूद है। सवाल है चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका का क्या होगा, चिदंबरम को बेल मिलेगी या जेल?




मंगलवार शाम से सीबीआई और ईडी की टीम उनकी तलाश में है। पिछले 15 घंटे में सीबीआई की टीम तीसरी बार चिदंबरम की तलाश में दिल्ली के जोरबाग इलाके में स्थित उनके आवास में पहुंची। हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद से पी चिदंबरम गायब हैं। उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरु हो गई है लेकिन चिदंबरम का अब तक कोई पता नहीं है।



बता दें कि कल शाम से ही सीबीआई-ईडी ने चिदंबरम की तलाश तेज कर दी थी लेकिन वो कहीं मिले नहीं। लिहाजा सीबीआई की टीम ने उनके घर के बाहर नोटिस चिपका कर उन्हें दो घंटे में हाजिर होने का फरमान सुना दिया। ईडी और सीबीआई की टीम लगातार उन्हें तलाश रही है। उनके घर, दफ्तर और उनके बेटे के दफ्तर का चक्कर काट रही है लेकिन चिदंबरम कहीं नहीं मिल रहे।



मंगलवार दोपहर 3 बजे दिल्ली हाईकोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया केस में चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद शाम 4 बजे जमानत खारिज होते ही चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, लेकिन चीफ जस्टिस ने फौरन कोई राहत देने से इनकार कर दिया। शाम 4 बजकर 30 मिनट पर कपिल सिब्बल और बाकी नेताओं के साथ पी चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास पहुंचे।



चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में शाम 4 बजकर 50 मिनट पर याचिका देकर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी और शाम 5 बजकर 10 मिनट पर चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट कैंपस से बाहर निकले जिसके बाद से उनका कोई अता-पता नहीं है। एक तरफ चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट से राहत लेने की तैयारी में जुटे थे तो दूसरी ओर सीबीआई और ईडी की टीम उनकी तलाश में।




मोबाइल भी बंद:   चिदंबरम फिलहाल कहां हैं किसी को नहीं पता। ना सीबीआई को और ना ईडी को। सूत्र बताते हैं कि उनका मोबाइल भी बंद है। ऐसे में उनकी तलाश तेज हो गई है। दिल्ली हाईकोर्ट से बेल खारिज होने के बाद चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए तीन दिनों की मोहलत मांगी थी लेकिन हाईकोर्ट ने न सिर्फ मोहलत देने से इनकार कर दिया बल्कि चिदंबरम के खिलाफ तल्ख टिप्पणी भी की।

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गुजरात के इस मंत्री ने अरूण जेटली के जीवित रहते दे डाली श्रद्धांजलि... सभा में लोगों को दो मिनट मौन भी रखवाया !

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15 August 2019


नई दिल्ली। देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की तबीयत इन दिनों अच्छी नहीं है। उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत नाजुक लेकिन स्थिर बनी है। पीएम मोदी समेत भाजपा के कई दिग्गज नेता जेटली का स्वास्थ्य जानने के लिए एम्स पहुंच रहे हैं। 



इसी बीच गुजरात के पर्यटन राज्य मंत्री वासन अहीर ने ऐसा कुछ कर दिया जिससे पूरी पार्टी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। दरअसल, वासन अहीर ने 10 अगस्त को कच्छ में आयोजित एक सार्वजनिक समारोह में अरुण जेटली को श्रद्धांजलि दे डाली। 




'टाइम्स आफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के पर्यटन राज्य मंत्री ने ना केवल जेटली के निधन पर दुख व्यक्त किया, बल्कि वहां मौजूद किसानों और गणमान्य लोगों से भी 2 मिनट का मौन भी रखवाया। 



बताया जा रहा है कि इस समारोह का आयोजन कच्छ के मांडवी तालुका के बिदाद गांव में किया गया था। मंत्रीजी की इस गलती को आगे बढ़ाते हुए कच्छ सूचना विभाग ने इस समारोह को लेकर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें यह दावा किया गया की जेटली को गणमान्य लोगों और किसानों द्वारा श्रद्धांजलि दी गई थी। 








ऐसा ही एक वाक्या इंदौर में भी सामने आया, जहां अतिउत्साह में वार्ड 29 की भाजपा पार्षद पूजा पाटीदार ने जेटली की मौत के अफवाह को सुन तुरंत फेसबूक पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दे डाली। पाटीदार ने जेटली के पोस्टर पर अपना फोटो चस्पा करते हुए लिखा कि, पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटलीजी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।





बता दें की अरुण जेटली को एम्स की आईसीयू में रखा गया है। डॉक्टर उनके स्वास्थ्य पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। 

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CM भूपेश बघेल की 'लोकवाणी'- गांवों की तस्वीर बदलने कई उपायों पर करने होंगे काम, एक हजार नरवा होंगे पुनर्जीवित

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11 August 2019


रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज अपनी पहली रेडियोवार्ता 'लोकवाणी' के जरिए प्रदेश की जनता से रू-ब-रू हुए। इस रेडियोवार्ता मेें उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा बदलने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों एवं कार्यो की जानकारी जनता को दी। 





मुख्यमंत्री ने ग्रामीण जनजीवन को खुशहाल बनाने के लिए शुरू की गई महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना को विस्तार से बताया। कृषि और ग्रामीण विकास विषय पर पहली कड़ी में पूछे गए सवालों के जबाव दिए। 



लोगों ने मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसलों 2500 रूपए में धान खरीदी, तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर 4 हजार रूपए मानक बोरा करने के साथ ही छत्तीसगढ़ के पारम्परिक त्यौहार हरेली, तीजा, माता कर्मा जयंती, छठ पूजा और विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश के लिए बधाई भी दी।


सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि खेती राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार है। किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम मिलता है, तब वह पैसा गांव से लेकर शहर तक बाजारों में आता है। खेती चलती है तो कारखाने के पहिए भी चलते हैं। इसलिए हमने किसानों और उनके माध्यम से गांवों को समृद्ध बनाने की रणनीति अपनाई है।



छत्तीसगढ़ सरकार ने 2500 रू. क्विंटल में धान खरीदी, कर्ज माफी, सिंचाई कर माफी और वन टाइम सेटलमेंट का निर्णय लिया, ताकि जितनी जल्दी हो सके किसानों को अपना खोया हुआ मान-सम्मान वापस मिल सके।


मुख्यमंत्री ने कहा- 'गांवों के हालात बदलने के लिए एक-दो उपाय से काम नहीं चलेगा। खेती की जमीन में भी सुधार हो, गांव में पशुधन के रास्ते से आने वाली आय बढ़े, फूड प्रोसेसिंग इकाइयां लगे, गांव की उपज का गांवों में वेल्यू एडीशन हो। 



सिंचाई और निस्तार के लिए पानी की स्थाई व्यवस्था होे। इसके लिये दीर्घकालिक योजना पर काम करतेे हुए हमने ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ को संस्थागत रूप से विकसित करने का निर्णय लिया गया है।'


एक हजार नरवा होंगे पुनर्जीवित  मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान और तकनीक की मदद से हम प्रदेश के 1000 नरवा को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई है। वर्षा जल को सहेजने के लिये छोटे-बड़े वॉटर स्ट्रक्चर बनाएंगे। 

छत्तीसगढ़ में 20 हजार नाले एवं 285 नदियां है। 85 बारहमासी नदियां है। इसके बावजूद भी सिचिंत रकबा  मात्र 31 प्रतिशत है। वर्षा के जल को हम सहेज नही पा रहें है। जल प्रबंधन नहीं होने के कारण हमारे ट्यूबवेल रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं। नरवा में सतत् जल प्रवाह होगा तो ट्यूबवेल में जलस्तर बना रहेगा। 





गौठान से बढ़ेंगे आजीविका केे साधन       मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठान निर्माण के लिये 2000 गांवों को चिन्हित किया गया है। 900 गौठानों का लोकार्पण हो चुका है। चराई से बचने लोग खेतों का फेंसिंग कराते हैं इससे कृृषि लागत बढ़ती है। फसल चराई के डर से किसान छत्तीसगढ़ में धान के बाद उतेरा की फसल लेना छोड़ दिए हैं। इसे रोकने हमने गांवों की गौठानों को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया।

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धारा 370 खत्म करने के बाद मोदी सरकार ला रही है ये बिल... अब धर्म परिवर्तन कराने वालों को होगी जेल !

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नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक विरोधी कानून और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद अब मोदी सरकार धर्मांतरण विरोधी बिल (Anti Conversion Bill) लाने की तैयारी में हैं। कहा जा रहा है कि अगले सत्र में इस बिल को सरकार सदन में रखने पर विचार कर रही है।


बीजेपी से जुड़े थिंक टैंक के लोग बहुत पहले से इस मुद्दे को उठाते आये हैं। धर्मांतरण की ख़बरें पूर्वोत्तर, केरल और उत्तर प्रदेश से अक्सर सामने आतीं हैं, जहां डराकर, धोखे या लालच देकर गरीब अशिक्षित लोगों का धर्म परिवर्तन कराने की बात सामने निकलकर आई हैं। मोदी सरकार अगले सत्र में धर्मांतरण विरोधी कानून ला सकती है 

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पीएम मोदी को पत्र भी लिखा  पिछली सरकार में संसदीय कार्य मंत्री रहे वेंकैया नायडू ने सभी दलों से धर्मांतरण पर एक राय से कानून बनाने की अपील भी की थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था। अब मोदी सरकार फिर इस बिल को पेश करने की सोच रही है।

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बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने धर्मांतरण विरोधी कानून के लिए एक लंबी मुहिम चलाई है और इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा,'देश के कई राज्यों में हिंदू पहले ही अल्पसंख्यक हो चुके हैं। इसके बावजूद बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन हो रहा है।'




अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक, जिस प्रकार से बहुत ही सुनियोजित ढंग से धर्म परिवर्तन हो रहा है। यदि उसे नहीं रोका गया तो आने वाले 10 वर्षों में स्थिति अत्यधिक भयावह हो जायेगी। भारत विरोधी शक्तियां धर्म परिवर्तन के माध्यम से पूरे हिंदुस्तान में हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाना चाहती हैं।



धर्मांतरण के लिए ये हैं टारगेट:  उपाध्याय ने कहा कि नब्बे के दशक तक धर्मांतरण कराने वाली संस्थाएं गांव के गरीब किसान, मजदूर, दलित शोषित और पिछड़ों को ही टारगेट करती थीं। लेकिन आजकल इन्होंने कस्बों और शहरों में भी अपना जाल बिछा लिया है।

उत्तर पूर्व के राज्यों में धर्मांतरण कराने के लिए हिंदू नहीं बचे हैं इसलिए ये संस्थायें अब उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में गरीबों का धर्मांतरण कर रहीं हैं। पिछले 10 साल में इन्होंने हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में भी किसान, मजदूर, दलित शोषित और पिछड़ों को टारगेट करना शुरू कर दिया है।


राज्यों में कानून कमजोर:  अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि कुछ राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी और अंधविश्वास विरोधी कानून बनाया है, लेकिन ये कानून बहुत ही कमजोर हैं। यही कारण है कि धर्मांतरण और अंधविश्वास की बढ़ती घटनाओं के बावजूद आज तक किसी को सजा नहीं हुई। 

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राहुल के जवाब में मोदी ने शुरू की 'मैं भी चौकीदार' मुहिम... बोले- देश का हर व्यक्ति है चौकीदार!

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17 March 2019


      इलेक्शन डेस्क @ नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है' के नारे के जवाब में 'मैं भी चौकीदार' मुहिम की शुरुआत की है। शनिवार को अपने ट्विटर अकाउंट पीएम मोदी ने एक वीडियो जारी कर मुहिम को लांच किया। इस वीडियो में केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना, भ्रष्टाचार पर लगाम, हाईवे निर्माण और देश की सुरक्षा मजबूत करने का जिक्र किया गया है।

    मोदी ने ट्वीट किया- आपका चौकीदार मजबूती के साथ खड़ा है और देश की सेवा में जुटा है। लेकिन मैं अकेला नहीं हूं। ऐसा हर व्यक्ति जो भ्रष्टाचार, गंदगी और समाज के दुश्मनों से लड़ रहा है, वह चौकीदार है। जो भी व्यक्ति भारत के विकास के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, वह चौकीदार है। आज हर भारतीय कह रहा- मैं भी चौकीदार।

आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी रैलियों और रोड शो के दौरान अक्सर राफेल मामले का जिक्र करके लोगों को बता रहे हैं कि मोदी भ्रष्ट हैं। वह लोगों से नारा भी लगवाते हैं- 'चौकीदार चोर है।' 

     हालांकि, राहुल का यह नारा कुछ लोगों को नागवार गुजरा है। हाल ही में महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा रक्षक यूनियन ने पुलिस को शिकायत देकर कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने ऐसा कहकर सारे चौकीदारों का अपमान किया है, लिहाजा उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाए। यूनियन के प्रमुख संदीप घुघे का कहना है कि पुलिस कार्रवाई करेगी तो भविष्य में कांग्रेस अध्यक्ष उनका अपमान करने से बचेंगे।

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