पंकज दाऊद @ बीजापुर। भोपालपटनम ब्लॉक के मरीमल्ला की पहाड़ी में सपा नेता संतोष पूनेम की हत्या के बाद मिनकापल्ली से मौके तक 13 किमी में सिर्फ दहशत का ही मंजर चारों ओर नजर आया।
बुधवार को जब सपा नेता संतोष के रिश्तेदार और पत्रकार वहां पहुंचे तो हत्या के करीब 22 घंटे बाद तक उनका शव वैसा ही पड़ा रहा और तब तक इसे किसी ने उठाने की हिम्मत नहीं जुटाई क्योंकि इसके नीचे आईईडी होने का डर सभी को सता रहा था।
संतोष पूनेम की हत्या मंगलवार की दोपहर करीब साढ़े तीन बजे नक्सलियों ने की थी। ये ऐसा इलाका है जहां किसी का आना-जाना नहीं है। मिनकापल्ली से मौके तक एक भी गांव नहीं है। ये दूरी कोई 12 से 13 किमी की है। जिला मुख्यालय से 407 और बाइक में आए संतोष के परिजन के अलावा कुछ पत्रकार मौके तक पहुंचे।
इसमें मिनकापल्ली से जाने में करीब डेढ़ घंटे लग गए। घाटी जहां सड़क नहीं बन पाई है और पथरीले रास्ते हैं। मरीमल्लपा की पहाड़ी में सड़क पर ही नक्सलियों ने पूनम की हत्या की थी और दो वाहनों से 22 घंटे बाद भी आग की लपटें निकल रही थीं।
परिजनों को शव को उठाने के लिए काफी सोचना पड़ा। इसके बाद पैर में रस्सी बांधी गई और इसे खींचा गया। इस बात की तस्दीक हो गई कि आईईडी प्लांट नहीं किया गया है। फिर शव को गाड़ी में डाला गया और जिला मुख्यालय लाया गया। रिष्तेदारों में ज्यादातर महिलाएं थीं।
मातम पसर गया है पूनेम परिवार में: सपा नेता के शव को लेने के लिए उनके बड़े बेटे राकेश पूनेम जो जगदलपुर में बीए फाइनल में पढ़ते हैं, वे गए थे। उनके साथ उनकी बहने भी थीं। संतोष की तीन पत्नियां हैं और वे सभी मरीमल्ला गईं थीं जहां हृदयविदारक रूदन सुनाई पड़ रहा था।
संतोष पुनेम की पहली पत्नी कांता पूनेम, दूसरी पत्नी निम्मा पूनेम और तीसरी पत्नी अनिता पूनेम शव लेकर बीजापुर पहुंचीं। संतोष को कांता से तीन, निम्मा से एक और अनिता से तीन बच्चे हैं। वे सभी बीजापुर में ही रहते हैं।
48 किमी सड़क बनाना है टेढ़ी खीर: लोक निर्माण विभाग ने 48 किमी सड़क को खण्डों में ठेके पर बनाने दिया है। एक से 6 किमी और 36 से 48 किमी का काम शिवशक्ति कंस्ट्रक्शन को मिला है। 7 से 12 किमी का काम साईं ट्रांसपोर्टर भिलाई, 13 से 18 किमी का ठेका यतेन्द्र चंद्राकर बिलासपुर, 19 से 25 किमी का ठेका पंकज हलधर पखांजूर, 26 से 28 किमी का काम केआर इंफ्रास्ट्रक्चर भिलाई, 29 से 31 किमी का ठेका भाग्याराव बीजापुर एवं 32 से 35 किमी का ठेका राजन सिंह दुर्ग को दिया गया है।
सड़क के दोनों छोर का काम लगभग पूरा हो गया है लेकिन दिक्कत बीच वाले खण्डों की है क्योंकि ये अति संवेदनशील क्षेत्र है। ठेका फरवरी 2015 से दिया गया था। 2018 में भी अनुबंध किया गया। बहरहाल इस सड़क को बनाना आसान नहीं है। इसके पहले भी अन्नारम में दो साल पहले नक्सलियों ने आठ वाहनों को आग के हवाले किया था।