बीजापुर। उसूर ब्लाॅक की एंगपल्ली पंचायत के गुबलगुड़ा गांव में फेरीमेग्नेटिक अयस्क मेग्नेटाइट या मैरटाइट के पाए जाने का खुलासा हुआ है। हालांकि, अब तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। बस्तर की लौह अयस्क खदानों में आम तौर पर ये अयस्क नहीं मिलते हैं।
भोपालपटनम ब्लाॅक के पामगल से मेटूपल्ली के बीच पांच किमी की सड़क प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बन रही है। मेटूपल्ली से लगे उसूर ब्लाॅक की एंगपल्ली पंचायत के गांव गुबलगुड़ा की एक पहाड़ी से सड़क बनाने के लिए मिट्टी का खनन एक-डेढ़ माह से किया जा रहा है।
कुछ ही दिनों पहले जब मेटूपल्ली के बच्चे चुंबक को लेकर खेलते-खेलते निर्माणाधीन सड़क पर पहुंचे तो उन्होंने वहां चुंबक से पत्थरों को चिपकते देखा। ये बात हौले से व्हाॅट्सएप से फैली। मौके पर जाकर पाया गया, तो बात सही निकली।
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बताते हैं कि मद्देड़ वन परिक्षेत्र के आरक्षित वन की पहाड़ी से ये ओर निकल रहा है। भोपालपटनम ब्लाॅक के कोंगूपल्ली निवासी महादेव पदम ने बताया कि खनन और मुरमीकरण का काम वे ही करवा रहे हैं। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि यहां पत्थर के टुकड़े चुंबक से चिपक जाते हैं।
पामगल पंचायत के मेटूपल्ली गांव के बुजूर्ग बाबू यालम बताते हैं कि पचास साल पहले लोहार इसी पहाड़ी से पत्थर लाकर गलाते थे और फिर लोहे से औजार बनाया करते थे। बाबू यालम की बात से तो ये पुष्टि हो जाती है कि खनन क्षेत्र में लौह अयस्क की मौजूदगी है लेकिन ये कौन-सा अयस्क हैै, ये बताना मुमकिन नहीं है।
मेग्नेटाइट के संकेत: शासकीय काकतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जगदलपुर के भूगर्भ विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक अमितांशु शेखर झा का इस बारे में कहना है कि मेग्नेटिक प्राॅपर्टी से इस बात के संकेत मिलते हैं कि गुबलगुड़ा में निकल रहा अयस्क मेेग्नेटाइट है। जांच के बाद ही इसकी पुष्टि हो सकती है।
उन्होंने बताया कि बस्तर में लेटेराइट व हेमेटाइट की खदाने हैं लेकिन मेग्नेटाइट आम तौर पर नहीं पाया जाता है। बैलाडीला और बचेली की खदानों के एक छोटे से हिस्से में मेग्नेटिक गुणधर्म वाला अयस्क मैरटाइट पाया गया है। गुबलगुड़ा में भी मैरटाइट हो सकता है।



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