पंकज दाऊद @ बीजापुर। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाए जा रहे गंगालूर रोड में एक नया खेल भी देखने को मिल रहा है। आरोप है कि करीब एक दर्जन पुलों को नया दर्शाकर इसका भुगतान किया जा रहा है।
गंगालूर के सरपंच इस मामले में पहले ही कांक्रीटीकरण और पुलों की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा कर चुके हैं लेकिन इसके बाद भी कोई बड़ी कार्रवाई होती नहीं दिख रही है।
बता दें कि बीजापुर नए बस स्टैण्ड से गंगालूर तक 25 किमी लंबी इस सड़क का ठेका 44 करोड़ रूपए का है और ठेकेदार को 25 करोड़ रूपए का भुगतान कर दिया गया है। इसमें सड़क का चैड़ीकरण, सीसी और फिर डामरीकरण का काम होना है। सीसी और डामरीकरण 5.5 मीटर तय है लेकिन इसकी असल चौड़ाई 9 मीटर है।
सरपंच मंगल राना और गंगालूर के लोगों ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की थी। इसके बाद भी काम में सुधार नहीं हो पा रहा है। बता दें कि घटिया और लेटलतीफी वाले काम के लिए इस मामले में ईई, एसडीओ और एक सब इंजीनियर की तनख्वाह भी रोक दी गई है लेकिन काम में सुधार होता नहीं दिख रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि सीसी सड़क और पुलों की क्यूरिंग ठीक से नहीं हो रही है। सीसी सड़क बनने के कुछ ही दिनों में उखड़ने लगी थी और उस पर डामर डालकर लीपापोती कर दी गई। सरपंच को संदेह है कि 43 पुलों को पूर्ण करना बताया जा रहा है लेकिन दर्जनभर से अधिक पुराने पुलों की हल्की मरम्मत कर इसे नया दर्शाने की कोशिश की जा रही है।
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इसके पीछे बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितता का अंदेशा सरपंच ने जताया है। अक्टूबर 2017 में शुरू इस काम में कोई तेजी नहीं दिख रही है। छह माह में इसकी मियाद खत्म हो जाएगी। काम की गति से नहीं लगता कि छह माह में गुणवत्ता का काम हो पाएगा क्योंकि एक माह बाद बारिश शुरू हो जाएगी।
चंद पुलों को छोड़ दिया जाए तो कोई भी पुल पूर्ण नहीं हो पाया है। काम धीमे होने की वजह पीएमजीएसवाय और ठेकेदार सुरक्षा की कमी का हवाल दे रहे हैं।




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