पंकज दाऊद @ बीजापुर। अगले दस साल के लिए बनने वाले वर्किंग प्लान के लिए तीन साल पहले से ही सामान्य वन मण्डल में कवायद शुरू हो गई है। इसी क्रम में ये भी पता लगाया जाएगा कि जंगल की उम्र कितनी है और ये कितना कार्बन सोख रहा है। सेंपलिंग के बाद नमूनों को जांच के लिए राजधानी में बने रिसर्च लैब में भेजा जाएगा।
बता दें कि जिले में उष्णकटिबंधीय मिश्रित वन ज्यादा हैं। भोपालपटनम इलाके में सागौन के जंगल अधिक हैं। किसी जंगल में एक निष्चित एरिया में सर्वे किया जाता है और ये देखा जाता है कि पहले ये कैसा था और अब इसकी स्थिति क्या है। पेड़ों की गोलाई और लंबाई से जंगल की उम्र का पता चलता है।
इनमें तीन प्रकार के वन युवा, मध्यम और वयस्क होते हैं। इसमें जंगल की प्रकृति का भी ब्यौरा लिया जाता है। हर वन खण्ड का नक्शा तैयार होता है। केन्द्र से अनुमोदन के बाद कूप कटाई, रोपण, रखरखाव आदि पर वर्किंग प्लान के तहत काम होता है। इसकी एक बुक भी तैयार की जाती है।
बताया गया है कि कितना कार्बन ये जंगल सोख रहा है, इसके लिए उस तय इलाके के सूखे पत्ते, मिट्टी आदि को एक तय मात्रा में लिया जाता है और फिर इसका वजन होता है। इसका डैटा तैयार कर रिसर्च के लिए भेजा जाता है। चूंकि ये पूरी प्रकिया वैज्ञानिक है, इसलिए ये सटीक पता चल जाता है कि जंगल कितना आक्सिजन सोख रहा है।
84 फीसदी है जिले में जंगल: जिले में वन क्षेत्र 84.75 फीसदी है। बीजापुर जिला 6500 वर्ग किमी में फैला हुआ है और 5563.193 वर्ग किमी क्षेत्र वनों से आच्छादित है। सामान्य वन मण्डल में 2931.033 वर्ग किमी एवं इंद्रावती टाइगर रिजर्व में 2632.107 वर्ग किमी वन है।