बीजापुर। सब्जी के मामले में जिला मुख्यालय के मार्केट में महंगाई ने गृहणियों की कमर तोड़ दी है क्योंकि यहां भिण्डी से लेकर मिर्च तक अपने नखरे दिखाने लगे हैं। इधर, करेले ने भी अपना भाव बरकरार रखा है।
अभी टमाटर यहां 40 रूपए किलो के भाव से बिक रहा है जबकि 160 किमी दूर जगदलपुर में अभी ये 20 से 30 रूपए किलो है। अभी तेलंगाना के वारंगल इलाके से टमाटर की आवक हो रही है। किलो के भाव में लौकी 30 रूपए में बिक रही है लेकिन गांव से आए किसान इसे साइज के हिसाब से 10, 20 और 30 रूपए में बेच रहे हैं।
इस सण्डे मार्केट में मिर्च ने अपने तेवर कुछ ज्यादा ही दिखाए। अभी 30 रूपए किलो के भाव से बिक रही मिर्च रविवार को साप्ताहिक हाट में 50 रूपए पाव में बिकी। मिर्च ओडिशा से आ रही हैं। भिण्डी ने अपना भाव 15 से 20 रूपए कायम रखा है। ये भाव कई दिनों से स्थिर है लेकिन किलो में लोकल और बाहरी भिण्डी के भाव में 20 रूपए का फर्क है।
करेले का भी यही किस्सा है। इसका भाव भी 80 और 60 रूपए किलो है। पत्ता गोभी 30 रूपए किलो पर स्थिर है, वहीं गंवारफल्ली भी 40 रूपए किलो के भाव पर टिका हुआ है। बरबटी मौसम के हिसाब से अपना मिजाज बदलती है। परवल 60 रूपए किलो की दर से बाजार में बना हुआ है।
एक सब्जी व्यापारी ने बताया कि लोकल और बाहर से आने वाली सब्जियों के दाम में कुछ फर्क तो होता ही है। उनका कहना है कि जहां तक भाजी का सवाल है, बाहर से भाजी की आवक नहीं हो पाती है क्योंकि इसके खराब होने का डर रहता है। बताया गया है कि नैमेड़, मद्देड़, गोरला और भोपालपटनम इलाके से स्थानीय उपज की आवक होती है।
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तेलंगाना से भी प्रभावित खेती: तेलंगाना से जुड़े गांवों में सब्जी की खेती अच्छी होती है। ये खेती तेलंगाना के किसानों से प्रभावित है। मट्टीमरका और इसके आसपास के गांवों में मूंगफली और कपास की खेती होती है। यहां के लोगों ने तेलंगाना की तर्ज पर इसकी खेती शुरू की है।
इधर, नैमेड़ और कुछ गांवों में कांकेर जिले के अलावा जशपुर-रायगढ़ से आकर बस गए किसानों ने उद्यानिकी फसलों को लगाना शुरू किया है। इसका असर स्थानीय जनजातियों पर भी पड़ा है। वे भी देखादेखी इन फसलों को ले रहे हैं।