नहर मरम्मत घोटाला: जल संसाधन विभाग के SDO ने शिक्षाकर्मी और ऑपरेटर को भी बना दिया मजदूर..! मस्टर रोल में दिव्यांग का नाम जोड़ हजम कर ली राशि... - India Khabar
BREAKING
Loading...

Latest

latest

नहर मरम्मत घोटाला: जल संसाधन विभाग के SDO ने शिक्षाकर्मी और ऑपरेटर को भी बना दिया मजदूर..! मस्टर रोल में दिव्यांग का नाम जोड़ हजम कर ली राशि...

02 May 2019

/ by India Khabar

पंकज दाऊद @ बीजापुर। भोपालपटनम ब्लाॅक के कोत्तापल्ली गांव में तालाब के नहर मरम्मत घोटाले में कई आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए हैं। एसडीओ एमएल टण्डन ने मस्टर रोल में एक शिक्षाकर्मी, एक दिव्यांग और एक ऑपरेटर का नाम भी जोड़कर उनके फर्जी अंगूठे लगाए और मजदूरी निकाल हजम कर ली। 



कोत्तापल्ली के इस घोटाले की शिकायत 5 अप्रैल को एसडीएम कोर्ट भोपालपटनम में दर्ज की गई। 8 अप्रैल 2019 को मौजूदा एसडीएम उमेश पटेल ने इसकी जांच रिपोर्ट बनाई और इसमें सात बिंदुओं पर एसडीओ एमएल टण्डन को दोषी पाया। 


इसी साल 14 मार्च को उन्होंने एसडीएम कोर्ट में गांव के लोगों का हलफनामे में बयान लिया। कोत्तापल्ली गांव की महेश्वरी कुरसम ने अपने बयान में कहा कि वे सहायक शिक्षक पंचायत (एलबी) हैं और मस्टर रोल में उनका नाम और अंगूठे का निशान है। वह फर्जी है। वे हस्ताक्षर करती हैं। 



इसी गांव के यालम लक्ष्मैया ने बताया कि कृष्णा पिता लच्छैया रेशम विभाग सुकमा में ऑपरेटर था। नहर निर्माण के समय वह सुकमा में ही था लेकिन अभी ऑपरेटर का काम छोड़ दिया है। इसी तरह बसंता पिता शंकरलाल दिव्यांग है ओैर मद्देड़ में शिक्षक है। 


इसी तरह लोदेड़ गांव के अशोक टिंगे का भी कहना है कि उन्होंने नहर निर्माण में काम नहीं किया है। उनका नाम लिखकर फर्जी हस्ताक्षर किया गया है। कुरसम लालाराम का भी कहना है कि उन्होंने काम नहीं किया है और उनका नाम लिखकर फर्जी अंगूठा लगाया गया है जबकि वे आठवीं पास हैं। 


कोत्तापल्ली के पटेल कुरसम रामनारायण का नाम भी मस्टर रोल में जोड़ा गया है। उनका कहना है कि उनका नाम लिखकर अंगूठा लगाया गया है जबकि वे हमेशा हस्ताक्षर करते हैं। कोत्तापल्ली के टिंगे बाबू का नाम भी जोड़कर मस्टर रोल में फर्जी अंगूठा लगाया गया है। बाबू ने इस बात का उल्लेख बयान में किया है। 


Advertisement 


मशीनों से काम, प्रमाणपत्र भी फर्जी:  कोत्तापल्ली गांव में बैठक हुई और एक पंचनामा तैयार किया गया। इसमें ग्रामीणों ने कहा कि काम मजदूरों से ना करवाकर ट्रैक्टर ब्लेड गाड़ी से कराया गया। ये काम 15 दिन चला। इस दौरान तत्कालीन एसडीओ एमएल टण्डन ने ग्रामीणों से कहा कि ये जलसंसाधन विभाग का काम है और इसे मशीन से कराया जाएगा, मजदूरों से नहीं। 


ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि गुणवत्ता और अधूरे काम के बारे में सवाल किए जाने पर एसडीओ ने बाद में इसे किए जाने की बात कही। इधर, पूर्व सरपंच कुरसम लक्ष्मीनारायण का कहना है कि कार्य पूर्णता प्रमाणपत्र में उनका हस्ताक्षर फर्जी है। पूर्व सरपंच का कहना है कि उन्होंने ये कागज कभी देखा नहीं और उन्होंने हस्ताक्षर भी नहीं किया।  




कहीं रफा-दफा ना हो जाए ये केस..?  दो साल तक इस मामले के अटके होने के बाद आए जांच प्रतिवेदन को लेकर भी ग्रामीण आशंकित हैं कि कहीं मामला दब ना जाए। पत्रकारों से चर्चा में कलेक्टर केडी कुंजाम ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। ये फाइल उन तक नहीं आई है क्योंकि आम चुनाव की व्यस्तता थी। 


कलेक्टर कुंजाम ने कहा कि किसी को भी संरक्षण नहीं दिया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी। ज्ञात हो कि जांच प्रतिवेदन में एसडीएम ने आईपीसी की सात धाराओं के तहत एसडीओ एमएल टण्डन के खिलाफ मामला दर्ज करवाने और नहर मरम्मत की लागत राषि 29.67 लाख रूपए की वसूली का प्रस्ताव कलेक्टर को दिया है। 

सम्बंधित खबर :  नहर निर्माण के नाम पर 29 लाख का घोटाला, RTI से हुआ मामले का खुलासा... सीमेंट और पत्थरों के अवशेष भी गायब, अब EE के जेल जाने की बारी...

Don't Miss
Copyright © , All Right Reserved India Khabar
Devloped by: Sai Web Solution