गढ़चिरौली। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 15 जवानों की शहादत के पीछे नक्सलियों की एक सुनियोजित साजिश और बदले की रणनीति साफ नजर आ रही है। नक्सलियों ने बुधवार दोपहर जवानों को जाल में फंसाकर आईईडी ब्लास्ट के जरिए उनके वाहन को उड़ाया।
दरअसल, इस साजिश की शुरुआत बुधवार तड़के 1 बजे हुई। सुबह एक से चार बजे के बीच कुरखेड़ा तहसील के दादापूरा गांव में नक्सलियों ने एक साजिश के तहत 36 वाहनों में आग लगा दी। नक्सलियों को पता था कि उनकी आगजनी के बाद सुरक्षा बलों का मूवमेंट जरूर होगा और इसके बाद से वे जवानों पर हमले की ताक में लगे थे।
महाराष्ट्र के डीजीपी सुबोध जायसवाल ने भी इस बात से इनकार नहीं किया है कि नक्सलियों ने C-60 कमांडोज को ट्रैप किया हो। जायसवाल ने कहा, 'आज दोपहर साढ़े 12 बजे गढ़चिरौली पुलिस की टीम नॉर्थ गढ़चिरौली की तरफ जा रही थी। रास्ते में नक्सलियों ने लैंड माइन से हमला किया। इस हमले में 15 जवान शहीद हुए और प्राइवेट गाड़ी का ड्राइवर भी मारा गया। नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।'
पिछले साल C-60 कमांडो की टीम ने बड़ी कामयाबी हासिल की थी। क्या यह बदले की कार्रवाई है? इस सवाल पर डीजीपी ने कहा कि यह कहा नहीं जा सकता है लेकिन 15 जवानों ने अपनी शहादत दी है। ऐंटी-नक्सल ऑपरेशन पूरे जोर-शोर से जारी रहेंगे। मुख्यमंत्री और गृह मंत्री से चर्चा हो रही है।
महाराष्ट्र के डीजीपी सुबोध जायसवाल ने बताया कि सभी पुलिसकर्मी एक प्राइवेट गाड़ी से जा रहे थे। सुरक्षा बलों को भी नक्सलियों द्वारा अपनी गाड़ियों को निशाना बनाए जाने की आशंका थी इसीलिए कुरखेड़ा पुलिस स्टेशन की क्विक रिस्पॉन्स टीम ने अपने मूवमेंट के लिए प्राइवेट बस को हायर किया ताकि नक्सलियों को चकमा दिया जा सके।
इसके बाद भी नक्सलियों ने गाड़ी को निशाना बनाया, जिससे स्पष्ट है कि उन्हें क्यूआरटी टीम के मूवमेंट की पल-पल की खबर थी। क्यूआरटी टीम ने दोपहर करीब 12 बजे एक पेट्रोल पंप पर तेल भी भरवाया था। बताया जा रहा है कि शायद यहीं से किसी ने नक्सलियों को उनके मूवमेंट की खबर दे दी।
बदले के लिए किया हमला: गौरतलब है कि करीब सालभर पहले 22 अप्रैल 2018 को छग व महाराष्ट्र की सीमा पर हुई मुठभेड़ में C-60 कमांडो की टीम ने 37 नक्सलियों को ढेर कर दिया था। इस एनकाउंटर में अपने साथियों के मारे जाने का बदला लेने की फिराक में नक्सली थे। मुठभेड़ की पहली बरसी पर वे 7 दिनों का 'शहीद सप्ताह' मना रहे थे। माना जा रहा है कि उसी का बदला लेने के लिए नक्सलियों ने आज का हमला किया है।
बुधवार का हमला गढ़चिरौली में 2009 के बाद से सबसे बड़ा नक्सली हमला है। साल 2009 में अलग-अलग नक्सली हमले में कुल 51 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। उस साल ग्यारापत्ती के नजदीक हमले में 15, लहेरी में 19 और हेट्टिगोटा में 16 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।