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आसाराम के बेटे नारायण साईं को उम्रकैद, सूरत की कोर्ट ने सुनाया फैसला... 1 लाख का जुर्माना भी

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30 April 2019

सूरत। दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराए गए कथावाचक नारायण साईं के खिलाफ सूरत की अदालत ने सजा का ऐलान कर दिया है। कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप में आसाराम के बेटे नारायण सांईं को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने नारायण साईं पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।



गौरतलब है कि 26 अप्रैल को कोर्ट ने नारायण साईं को 11 साल पुराने मामले में दोषी ठहराया था। नारायण साईं इस मामले में पिछले 7 साल से सूरत की जेल में बंद है।

नारायण साईं पर आरोप लगाने वाली दोनों बहनें सूरत की रहने वाली थीं। पीड़िता अपनी छोटी बहन के साथ आसाराम के अहमदाबाद मोटेरा आश्रम में रहकर अगरबत्ती बनाने व अन्य कुटीर उद्योग का काम करती थी। पुलिस ने इन बहनों के आरोपों और उनके द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर केस दर्ज किया था जिस पर सूरत की सेशन कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया है।




बता दें कि नारायण साईं और आसाराम के खिलाफ रेप का केस करीब 11 साल पुराना है। पीडि़ता छोटी बहन ने अपने बयान में नारायण साईं के खिलाफ ठोस सबूत देते हुए हर लोकेशन की पहचान की है। जबकि बड़ी बहन ने आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था।

मामले की सुनवाई के दौरान 53 गवाहों ने कोर्ट में बयान दर्ज करवाए थे जिनमें कईं ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि उन्होंने नारायण साईं को युवतियों के साथ संबंध बनाते देखा। केस दर्ज होने के बाद नारायण साईं लापता हो गया था और आखिरकार 2013 में उसे हरियाणा-दिल्ली सीमा के पास से गिरफ्तार कर लिया गया था। नारायण पर जेल में रहते हुए पुलिस कर्मचारी को 13 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का भी आरोप लगा था।


पत्‍नी ने लगाए थे गंभीर आरोप:  नारायण साईं की पत्नी जानकी ने भी अपने पति और ससुर आसाराम पर प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। उन्होंने इंदौर के खजराना पुलिस थाने में 19 सितंबर 2015 को शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा था कि 22 मई 1997 को उसकी शादी नारायण हरपलानी से हुई थी। इसके बाद नारायण ने उसके सामने ही कई महिलाओं से नाजायज संबंध कायम किए, जिससे उसे मानसिक प्रताड़ना सहना पड़ी। 


जानकी ने आरोप लगाया था कि मेरे पति ने हमेशा धर्म के नाम पर ढोंग किया है। नारायण ने अपने आश्रम की एक साधिका से अवैध संबंध बनाए, जब यह साधिका गर्भवती हो गई तो उसने मुझसे कहा कि वह दूसरी शादी करना चाहता है। जानकी ने आरोप लगाया था कि नारायण साईं ने उससे तलाक लिए बगैर ही उस साधिका से राजस्थान में शादी कर ली और उस महिला से नारायण की एक संतान भी है।


बता दें कि नारायण साईं का पिता आसाराम जोधपुर में बलात्कार के एक दूसरे मामले में दोषी पाया जा चुका है। वह आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है। सूरत में रहने वाली महिला के द्वारा दायर मामला गांधी नगर अदालत में चल रहा है। 

सस्पेंड RPF जवान तलवार लहराते पहुंचा थाने, प्रभारी पर किया हमले का प्रयास... ड्यूटी के दौरान सोने की वजह से हुआ था निलंबित!

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31 March 2019


बिलासपुर। आरपीएफ का एक निलंबित जवान तलवार लहराता हुआ थाने में पहुंच गया और थाना प्रभारी पर हमला कर दिया। अचानक हुई घटना के बाद मौके पर मौजूद सिपाहियों ने उससे तलवार छीन ली। बताया गया है कि जवान सस्पेंशन खत्म करने की मांग को लेकर थाने पहुंचा था। घटना शनिवार की है। 



बता दें कि आरपीएफ थाने का सिपाही ड्यूटी के दौरान सोता हुआ मिला था। मामले की शिकायत होने पर जांच के बाद उसे निलंबित कर दिया गया था। तलवार लेकर थाने पहुंचे जवान का कहना था कि उसकी गलती इतनी बड़ी नहीं है कि 6 महीने के लिए सस्पेंड किया जाए। 


जानकारी के मुताबिक आरपीएफ जवान नैला निवासी कुमार सिंह की पोस्टिंग अनूपपुर थाने में थी। उसकी 6 माह पहले सारनाथ एक्सप्रेस में ड्यूटी लगी थी। ड्यूटी के दौरान सोता हुआ मिलने पर टीटीई ने इसकी शिकायत विभाग में कर दी। जांच हुई और शिकायत सही पाने पर उसे विभाग ने सस्पेंड कर दिया। 


इस बात से भड़का जवान सस्पेंशन खत्म करने की मांग को लेकर आरपीएफ थाने पहुंच गया। वह मिलिट्री की वर्दी में था। पीठ पर उसने तिरंगा बांध रखा था। अपने हाथ में तलवार लहराते जवान थाने पहुंचा था।  


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कुमार सिंह का कहना था कि अगर उसका निलंबन वापस नहीं लिया जाता है तो वह कुछ भी कर सकता है। अधिकारी-कर्मचारियों ने उससे तलवार लेने की कोशिश की। इस पर गुस्से में उसने थाना प्रभारी दिलीप बस्तियां पर तलवार से हमला कर दिया। इस दौरान वहां मौजूद जवानों के बीच बचाव किया और प्रभारी मौके से भाग निकले। 

आरोपी आरपीएफ जवान कुमार सिंह पैसेंजर ट्रेन में सवार होकर हाथ में तलवार लिए बिलासपुर स्टेशन पहुंचा था। लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लागू होने के बावजूद आरपीएफ के निलंबित जवान को कोई नहीं पकड़ सका। करीब एक घंटे बाद आरोपी को आरपीएफ के जवानों ने वापस घर भेज दिया। उस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। 

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