नई दिल्ली। देश के सबसे लंबे समय तक चले मुकदमे अयोध्या भूमि विवाद पर देश की सर्वोच्च अदालत का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन देने के लिए कहा है।
अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट में 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले पर सुनवाई पूरी हुई थी।
फैसला पढ़ने के दौरान पीठ ने कहा कि ASI रिपोर्ट के मुताबिक नीचे मंदिर था। CJI ने कहा कि ASI ने भी पीठ के सामने विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं। CJI ने कहा कि हिंदू अयोध्या को राम जन्मस्थल मानते हैं। हालांकि, ASI यह नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित ढांचे पर अपना एक्सक्लूसिव राइट साबित नहीं कर पाया। कोर्ट ने विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया, तो मुसलमानों को दूसरी जगह जमीन देने के लिए कहा है। कोर्ट ने साथ ही कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार तीन महीने में योजना बनाए।
रंजन गोगोई ने कहा कि ASI की रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनी थी। साथ ही सबूत पेश किए हैं कि हिंदू बाहरी आहते में पूजा करते थे। CJI ने कहा कि 1856-57 से पहले आंतरिक अहाते में हिंदुओ पर कोई रोक नहीं थी। मुसलमानों का बाहरी आहते पर अधिकार नहीं रहा।