रायपुर। नक्सलवाद के खात्मे के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर के लिए सीआरपीएफ की 7 नई बटालियन की मंजूरी दे दी है। इनमें से दो बटालियन नवंबर महीने में पहुंच जाएंगी।
बताया जा रहा है कि केंद्र ने छत्तीसगढ़ को 7 हजार जवानों की मंजूरी दे दी है। सभी बटालियनों का मुख्यालय नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बनाया जाएगा, जिससे नक्सलियों की धमक को खत्म किया जा सके। इसके लिए जगह तय कर ली गई है।
सूत्रों के मुताबिक जनवरी के बाद नक्सलियों के खिलाफ एक बड़े ऑपरेशन की तैयारी की जा रही है। इसी सिलसिले में जवानों की संख्या को बढ़ाया गया है। बताया जा रहा है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में इन जवानों को तैनात किया जाएगा। साथ ही जवानों को खास तरीके से ट्रेन भी किया जाएगा।
बता दें पिछले दिनों 11 नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री और डीजीपी की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में छग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीआरपीएफ की 9 नई बटालियन उपलब्ध कराने की मांग की थी। उस समय केंद्रीय गृहमंत्री ने आश्वासन दिया था। इस बीच जम्मू कश्मीर में अतिरिक्त फोर्स तैनात होने और महाराष्ट्र व हरियाणा में चुनाव के कारण यहां नई बटालियन नहीं पहुंच पाई थी।
बताया जा रहा है कि केंद्र ने छत्तीसगढ़ को 7 हजार जवानों की मंजूरी दे दी है। सभी बटालियनों का मुख्यालय नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बनाया जाएगा, जिससे नक्सलियों की धमक को खत्म किया जा सके। इसके लिए जगह तय कर ली गई है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के प्रभावित क्षेत्र में फिलहाल केंद्रीय सुरक्षा बलों की 45 बटालियन तैनात हैं। अगले महीने इनकी संख्या बढ़कर 47 हो जाएगी। इसके अलावा दर्जनभर से ज्यादा सीएएफ की बटालियन भी तैनात है।
सूत्रों के मुताबिक जनवरी के बाद नक्सलियों के खिलाफ एक बड़े ऑपरेशन की तैयारी की जा रही है। इसी सिलसिले में जवानों की संख्या को बढ़ाया गया है। बताया जा रहा है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में इन जवानों को तैनात किया जाएगा। साथ ही जवानों को खास तरीके से ट्रेन भी किया जाएगा।
बता दें पिछले दिनों 11 नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री और डीजीपी की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में छग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीआरपीएफ की 9 नई बटालियन उपलब्ध कराने की मांग की थी। उस समय केंद्रीय गृहमंत्री ने आश्वासन दिया था। इस बीच जम्मू कश्मीर में अतिरिक्त फोर्स तैनात होने और महाराष्ट्र व हरियाणा में चुनाव के कारण यहां नई बटालियन नहीं पहुंच पाई थी।
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